स्वास्थ्य, ऊर्जा पर डब्ल्यूएचओ के उच्चस्तरीय गठबंधन की पहली बैठक को हर्षवर्धन ने किया संबोधित

स्वास्थ्य, ऊर्जा पर डब्ल्यूएचओ के उच्चस्तरीय गठबंधन की पहली बैठक को हर्षवर्धन ने किया संबोधित

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  • Publish Date - June 10, 2021 / 10:51 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:51 PM IST

नयी दिल्ली, 10 जून (भाषा) कोविड-19 महामारी ने विभिन्न क्षेत्रों के बीच व्यापक परस्पर निर्भरता की बात को उजागर करते हुए इस आवश्यकता को सुनिश्चित करने को रेखांकित किया है कि विभिन्न क्षेत्रों के बीच आपसी जुड़ाव होना चाहिए। साथ ही इन बातों को प्रभावी एवं सतत सेवा आपूर्ति की नीतियों में परिलक्षित होना चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने महामारी की चर्चा करते हुए यह बात कही।

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि हर्षवर्धन ने बुधवार रात को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के स्वास्थ्य एवं ऊर्जा कार्य मंच पर उच्च स्तरीय गठबंधन की पहली बैठक को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी ने।

बैठक में कई गणमान्य व्यक्तियों, राष्ट्र प्रमुखों और विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी), अंतरराष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए) जैसे विभिन्न हितधारकों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

बयान के मुताबिक उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “महामारी और साथ ही इसे प्रबंधित करने के लिए किए गए व्यापक प्रयासों ने विभिन्न क्षेत्रों के बीच बड़े पैमाने पर परस्पर निर्भरता की जरूरत को दोहराया है। इसने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है कि एक प्रभावी और सतत सेवा वितरण सुनिश्चित करने के लिए हमारी नीतियों में सभी क्षेत्रों में परस्पर जुड़ाव प्रतिबिंबित हो।”

वर्धन ने कहा, “हमारी सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्य योजना नामक एक विशेषज्ञ निकाय का गठन किया गया था जिससे मानव स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में आम जनता, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं और नीति निर्माताओं के बीच जागरूकता पैदा की जा सके।”

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह ने हाल में अप्रैल 2021 में, चिन्हित जलवायु संवेदनशील बीमारियों और ‘एक स्वास्थ्य’ पर विषय विशिष्ट स्वास्थ्य कार्य योजनाओं को शामिल करते हुए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

उन्होंने कहा कि ‘हरित और जलवायु तन्यक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं’ के संदर्भ में, भारत ने 2017 में माले घोषणा पर हस्ताक्षर किया और किसी भी जलवायु घटना का सामना करने में सक्षम होने के लिए जलवायु के लिहाज से लचीली स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए सहमत हो गया।

भाषा

प्रशांत माधव

माधव