Pension : कर्मचारियों की पेंशन को लेकर हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा- यह उनका संवैधानिक अधिकार

कर्मचारियों की पेंशन को लेकर हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी, High Court declared pension of employees as their constitutional right

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  • Publish Date - April 17, 2024 / 07:40 PM IST,
    Updated On - April 17, 2024 / 07:40 PM IST

रांचीः Pension is constitutional right of employees किसी भी कर्मचारी को पेंशन के लाभ से वंचित करना, उसे संविधान के अनुच्छेद 300 ए के तहत पेंशन के रूप में संवैधानिक अधिकार से वंचित करना है। यह टिप्पणी झारखंड हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने हाल ही में बिरसा एग्र‌िकल्चर यूनिवर्सिटी बनाम झारखंड राज्य के एक मामले पर सुनवाई करते हुए की।

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Pension is constitutional right of employees हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ ने कहा कर्मचारी पेंशन अपनी सराहनीय सेवाओं के कारण अर्जित करता है। निर्णय में अदालत ने कहा कि प्रतिवादी ने लगभग तीन दशकों तक यूनिवर्सिटी में काम किया है, इसलिए पेंशन लाभ के लिए उनकी पिछली सेवाओं पर विचार किया जाना चाहिए।

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अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता ने भी उम्र में छूट देकर प्रतिवादी की पिछली सेवाओं को मान्यता दी है। इसलिए, प्रतिवादी पेंशन के लिए अपनी पिछली सेवाओं को गिनने के हकदार थे। अदालत ने देवकीनंदन प्रसाद बनाम बिहार राज्य के मामले पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेंशन कोई इनाम या दान नहीं है, यह कर्मचारी द्वारा पिछली सरहानीय सेवाओं के कारण अर्जित की जाती है। अदालत ने माना कि रिट अदालत के आदेश को चुनौती देकर, अपीलकर्ता संविधान के अनुच्छेद 300 ए के तहत उत्तरदाताओं के संवैधानिक अधिकार को लूटने की कोशिश कर रहा है। उपरोक्त टिप्पणियों के साथ, लेटर्स पेटेंट अपीलें खारिज कर दी गईं।

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