कलयुग का श्रवण कुमार! माता पिता को कंधे में उठाकर कांवड़ यात्रा पर निकला शख्स, इस वजह से आंखें में बांधी पट्टी

माता पिता को कंधे में उठाकर कांवड़ यात्रा पर निकला शख्स! Kanwar yatra 2022: Vikas Gehlot is carrying his parents on his shoulders on kanwar

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  • Publish Date - July 19, 2022 / 09:51 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:28 PM IST

देहरादून: Kanwar yatra 2022 20वीं सदी में लोगों की जिंदगी इतनी फास्ट हो चुकी है कि लोग रिवाजों और रिश्ते नातों को भूलते जा रहे हैं। हालात ऐसे है कि लोग अपने माता—पिता तक को वृद्धाश्रम में छोड़ आते हैं। लेकिन इस कलयुग में भी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद का ऐसा युवक को श्रवण कुमार की तरह काम कर रहा है। जी हां युवक अपने माता पिता को कंधे पर उठाकर कावड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022) कर रहा है। >>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां Click करें*<< 〉

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Kanwar yatra 2022 मिली जनकारी के अनुसार माता​ पिता को कांवर यात्रा करवाने वाले शख्स का नाम विकास कुमार है, जिसे कलयुग का श्रवण कुमार कहा जा रहा है। विकास श्रवण कुमार बनकर अपने माता-पिता को कंधे पर उठाकर हरिद्वार (Haridwar) से गाजियाबाद अपने घर जा रहे हैं।. रास्ते में जो कोई उन्हे देख रहा है वो हैरान हो गया है। विकास का अपने माता-पिता से प्यार इसी बात से साबित हो रहा है कि उसने अपने माता-पिता की आंखों पर पट्टी बांधी हुई है, ताकि उसके पेरेंट्स बेटे के कंधों का दर्द का अहसास उसके चेहरे पर न देख सकें।

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उमस भरी इस गर्मी में तपती सड़क पर विकास अपने माता-पिता को लेकर हरिद्वार से सैकड़ों किलोमीटर का पैदल सफर तय कर गाजियाबाद अपने घर जाएगा। रास्ते में जिस किसी ने विकास को देखा वो हैरान रह गया। विकास गहलोत का कहना है कि उनके माता-पिता ने कांवड़ यात्रा की इच्छा जताई थी, लेकिन उसके माता-पिता की उम्र इतनी नहीं है कि वो पैदल चलकर यात्रा कर सके। इसलिए उसने मन बनाकर दृढ़ निश्चय कर इस तरह से माता पिता को यात्रा करवाने का फैसला किया।

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विकास गहलोत और उसके माता पिता ने हरिद्वार पहुंचकर गंगा स्नान किया और उसके बाद कांवड़ जल लेकर पालकी में माता-पिता को बैठाकर वो गाजियाबाद के लिए चल पड़ा। लोहे की मजबूत चादर की बनी पालकी में एक तरफ मां तो दूसरी तरफ पिता बैठे हैं। पिता के पास 20 लीटर गंगाजल का कैन भी है। श्रवण कुमार बनकर विकास माता-पिता को पैदल ही गाजियाबाद अपने गंतव्य तक लेकर जा रहे हैं। बीच बीच में पालकी को सहारा देने के लिए उसके साथ अन्य दो साथी भी चल रहे हैं।

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