Maa Hinglaj Mandir Raisen
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Maa Hinglaj Mandir Raisen: रायसेन। नानी पीर के नाम से मशहूर मां हिंगलाज महारानी का मंदिर बलूचिस्तान में मौजूद है। 52 शक्तिपीठों में से एक मां हिंगलाज के इस मंदिर की देखभाल वहां के मुसलमान करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां हिंगलाज का एक मंदिर भारत में भी मौजूद है। मध्य प्रदेश के रायसेन में मां हिंगलाज बाड़ी के नाम से एक मंदिर है जो लगभग 500 साल पुराना है। यहां के लोगों का मानना है कि इस मंदिर की ज्योति मुख्य मंदिर से लगाई थी और फिर यहां मां को स्थापित किया गया।
माँ हिंगलाज का शक्ति पीठ श्री राम जानकी खाकी अखाड़ा के सिद्ध महंतों के तप स्थली विन्ध्याचल पर्वत के तलहटी में स्थित है। महंत परम्परा के द्वारा स्थापना की पुष्टि करती है खाकी अखाड़े के महंत सोरोजी यात्रा पर जाते रहे हैं। सोरोजी के पांडा श्री प्रेमनारायण जी की पंडा बही में इन महंतो के नाम लिखे है। माँ हिंगलाज शक्ति पीठ एन-एच- 12 से 2 किलोमीटर दूर बाड़ी नगर के मध्य में स्थित है यहां पाकिस्तान के बलूचिस्तान से लाकर ज्योति स्वरूप विराजित की थी जो कि मूर्ति में समाहित हो गयी।
माँ हिंगलाज के शक्ति पीठ का इतिहास लगभग 500 वर्ष पूर्व का है। महंत भगवानदास जी माँ जगदम्बा के अनन्य भक्त थे उनके मन में बलुचित्थान (पाकिस्तान) स्थित हिंगलाज शक्ति पीठ के दर्शन करने के लालसा उठी। यह आज से 500 वर्ष पुरानी है। अपने दो शिष्यों के साथ पद यात्रा कर निकले रास्ते में एक दिन रात में महंत जी को सपना आया कि भक्त अपने स्थान वापिस जाओ मेरे द्वारा दी गयी। अग्नि को अखंड धुनी के रूप में हिंगलाज मंदिर के रूप में स्थापित कर दो इस प्रकार माँ हिंगलाज की स्थापना बाड़ी नगर में हुई। महंत परम्परा के 12वी पीढ़ी के महंत श्री श्री 108 तुलसीदास जी बाड़ी मंडल के महा मंडलेश्वर रहे आप तूल नाम से कविता करते थे तुलसी मानस सटक एवं नर्मदा चालीसा आपकी प्रसिद्ध रचनायें हैं।
खाकी अखाड़े के पूर्व महंत चमत्कारी एवं तपस्वी रहे है तभी तो भोपाल रियासत के नबाव बेगम सिकंदर जहाँ ने मंदिर को जागीर बक्शी। इस मंदिर के साथ एक विशेष प्रसंग भी जुड़ा है। मंदिर की चोथी पांचवी पीढ़ी के पुजारी के समय भोपाल रियासत की नबाब बेगम से शिकायत की थी खाकी अखाड़े में 100 – 150 साधू यहां रहते हैं। उनके महंत अपने आप को बड़ा देवी भक्त कहकर जनता से चढ़ावा लेते है बेगम ने परीक्षा लेने के लिए एक थाल में मॉस रखकर एवं कपड़े से ढंककर चार कारिंदों के साथ भोग लगाने के लिए भेज दिया।
कारिंदे मंदिर परिषर में आये वेसे ही महंत जी ने एक सेवक भेज कर मुख्य द्वार पर रुकवा दिया महंत जी आरती के बाद अपना कमंडल लेकर थाल के पास पहुचे एवं थाल में जल छिड़क कर कारिंदों से कहा की ये बेगम के पास जाकर इसका कपडा हटाना। कारिंदे थाल वापिस लेकर कैंप में पहुचे और बेगम के सामने रखकर सब किस्सा कह सुनाया जब बेगम ने थाल का कपड़ा हटाया। मॉस के स्थान पर थाल में प्रसाद स्वरुप मेवे मिठाइयाँ मिली बेगम को आश्चर्य हुआ और पैदल ही मंदिर चल दी महंत जी को जेस ही समाचार मिला मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुचे बेगम ने महंत जी एवं हिंगलाज देवी से छमा याचना की एवं दंड स्वारूप मोजा पिपलिया खाकी की जागीर दी। यह ग्राम आज भी सरकारी दस्तावेजो में दर्ज है। यह प्रत्यक्ष सत्यता का प्रमाण है।
Maa Hinglaj Mandir Raisen: श्री माँ हिंगलाज का स्थान प्राक्रतिक सोंदर्य के मध्य स्थित है। वहां पहुंचकर जेसे ही माँ की परिक्रमा कर साष्टांग दंडवत करेंगे वेसे ही मन में अपूर्व शांति का अनुभव होगा। माँ हिंगलाज के मंदिर का गुम्बज गोंड शेली का है माँ हिंगलाज मंदिर के पीछे स्थित श्री राम जानकी मंदिर में गंगा जमनी तहजीव के दर्शन होते हैं जहाँ महंत भगवान् दास जी द्वारा लाई गयी धूनी स्थल है। वहीं बाबा साहब का 16 वीं शताब्दी का तकिया बना हुआ है। जहां आज भी रोज पूजन होती है एवं लोभान छोड़ा जाता है। माँ हिंगलाज शक्ति पीठ के पीछे स्थित श्री राम जानकी मंदिर जहा का इतिहास महंत परम्परा के अनुसार लगभग एक हजार वर्ष पुराना है जहा पर स्थित सैंकड़ों वर्ष पुरानी एक बावड़ी है एवं संतों के समाधी स्थल है। वहीं एतिहासिक लगभग बीस पच्चीस फिट ऊँचा दरवाजा है।
माँ हिंगलाज के दर्शन मात्र से लोगो के परेशानी हल होती है एवं दूर दूर से लोग इस शक्ति पीठ पर दर्शन करने आते हैं दोनों नवरात्रों पर यहाँ पर यज्ञ होता है और भंडारे होते हैं एसी परम्परा है कि माँ के पीठ तरफ दीवार में गोबर लगाने से महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है। सन 2000 में महंत परंपरा को समाप्त कर सरकार ने यहाँ पर श्री राम जानकी खाकी अखाड़ा माँ हिंगलाज ट्रस्ट की स्थापना की एवं इसके अध्यक्ष तहसीलदार बाड़ी एवं यहाँ पर स्थित संस्कृत पाठशाला का को भी ट्रस्ट में समाहित कर दिया ट्रस्ट के पास भोपाल रियासत की बेगम के द्वारा दी गयी 65 एकड़ जमीन है।