जयपुर, 12 फरवरी (भाषा) कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए राजस्थान को 4.40 लाख करोड़ रुपये के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण वितरण का अनुमान व्यक्त किया है। बैंक के अनुसार राज्य को यह ऋण एकीकृत व सतत ग्रामीण समृद्धि सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिया जाएगा।
यहां आयोजित एक कार्यक्रम में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए राज्य केंद्रित पत्र (एसएफपी) का विमोचन किया गया। आधिकारिक बयान के अनुसार यह पत्र राजस्थान में भौतिक और वित्तीय, दोनों संदर्भों में दोहन योग्य जिलावार ऋण वितरण की संभाव्यता का समेकित दस्तावेज है।
इसके अनुसार नाबार्ड ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 4.40 लाख करोड़ रुपये के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण वितरण का अनुमान लगाया है। ऋण की संभावित राशि पिछले वर्ष के अनुमान की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक है। कुल अनुमानित ऋण संभाव्यता में 47 प्रतिशत कृषि और संबद्ध कार्यों के लिए आकलित किया गया है, लघु व मध्यम उद्योग एमएसएमई क्षेत्र के लिए 45 प्रतिशत और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे कि आवास, शिक्षा आदि के लिए आठ प्रतिशत आकलित किया गया है।
इसके अनुसार एसएफपी में आकलित ऋण संभाव्यता का उपयोग वर्ष 2025-26 के लिए वार्षिक ऋण योजना तैयार करने के लिए एक आधार दस्तावेज के रूप में किया जाएगा।
नाबार्ड द्वारा आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार के दौरान सहकारिता राज्य मंत्री गौतम कुमार दक व नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ राजीव सिवाच की उपस्थिति में यह पत्र जारी किया गया।
दक ने नाबार्ड द्वारा तैयार की गई ऋण योजना और स्टेट फोकस पेपर 2025-26 की सराहना की। साथ ही उन्होंने बैंकों, संबंधित विभागों और अन्य हितधारकों को नाबार्ड द्वारा स्टेट फोकस पेपर में किए गए अनुमानों को प्राप्त करने के लिए एकजुट होकर काम करने की सलाह दी।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ सिवाच ने कहा कि कृषि आधारभूत सुविधाओं में निवेश में वृद्धि, कृषि उपज के समूहीकरण, मूल्य संवर्धन और किसानों को किसान उत्पादक संगठनों में संगठित करके कृषि की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।
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