Pahalgam Terror Attack | Photo Credit: IBC24
नई दिल्ली: Pahalgam Terror Attack मंगलवार 22 अप्रैल का दिन हर किसी को याद रहेगा। इस दिन जम्मूकश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ है। इस हमले के बाद पूरे भारत के लोगों में आक्रोश का माहौल देखने को मिल रहा है। पूरा भारत पाकिस्तान के विरोध में उतर गए हैं और जगह जगह पर पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इस हमले में कुछ लोग बच गए हैं। जो मौत को करीब से देखा है।
Pahalgam Terror Attack ऐसे में 11 लोग छत्तीसगढ़ के हैं जो मौत के उस खौफनाक मंजर से निकलकर सुरक्षित बाहर आए। इन लोगों को बचाने वाला कोई और नहीं बल्कि पहलगाम का एक स्थानीय निवासी और टूरिस्ट गाइड नजाकत अहमद शाह था।
इस हमले को अपनी आंखों से देखने वाले और टूरिस्ट गाइड के तौर पर साथ मौजूद रहे नजाकत अहमद शाह ने उस खौफनाक मंजर को साझा किया है, जो दिल को हिला देने वाला है।
नजाकत, जो खुद पहलगाम के हलवान गनीगुंड के रहने वाले हैं, उन्होंने बताया कि वो छत्तीसगढ़ से आए 11 पर्यटकों के साथ थे, जिनमें 4 कपल्स, 3 बच्चे शामिल थे। “मैं उन्हें जम्मू से दो इनोवा गाड़ियों में लाया था। हमने उन्हें गुलमर्ग, सोनमर्ग और बाकी जगहें घुमाईं। आखिरी में उन्हें अपने घर लाना था, इसलिए पहलगाम लाए। होटल एक्सीलेंट में रुकवाया, ताकि मेहमाननवाज़ी कर सकें।”
नजाकत बताते हैं, “अगली सुबह हम मिनी स्विटजरलैंड गए। बच्चों ने मैगी खाई, फोटोग्राफी चल रही थी। करीब 2 बजे मैंने कहा चलो अब वापस चलते हैं, लेकिन लकी बोले – थोड़ा और फोटो ले लेते हैं। तभी अचानक फायरिंग शुरू हो गई। पहले लगा पटाखे हैं, फिर जब गोलियों की आवाज़ बढ़ने लगी तो लोग जमीन पर लेटने लगे। मैं खुद लकी के बेटे और टीटू की बेटी को लेकर लेट गया।”
“जैसे-तैसे बच्चों और बाकी साथियों को लेकर वहां से भागा और पहलगाम पहुंचाया। फिर लकी और टीटू की पत्नियों को भी सुरक्षित होटल लाया। अगली सुबह सभी को श्रीनगर छोड़ आया।”
नजाकत की आंखों में उस मंजर की तस्वीर आज भी ताजा है। “मैंने जब उन बच्चों को बचाया, तो उन्हें सीने से इसलिए लगाया कि अगर गोली लगे भी, तो मुझे लगे… बच्चों को कुछ ना हो। मेरी भी दो बेटियां हैं… मैं समझ सकता हूं। वहां इंसानियत का कत्ल हुआ।” उन्होंने बताया कि इस हमले से टूरिज्म को बहुत नुकसान होगा। “हमारा पूरा परिवार टूरिज्म से जुड़ा है—कोई घोड़े चलाता है, कोई होटल में काम करता है, कोई मैगी बनाता है। ये हमला हमारी रोज़ी-रोटी पर वार है।”