न सब्सिडी, न मुफ्त राशन, बंद हो जाएंगी मुफ्त वाली सभी योजनाएं? जानिए पीएम मोदी के साथ बैठक में अधिकारियों ने कही ये बात

न सब्सिडी, न मुफ्त राशन, बंद हो जाएंगी मुफ्त वाली सभी योजनाएं? No subsidy, no free ration, all free schemes of GOVT will closed?

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  • Publish Date - April 4, 2022 / 06:20 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:22 PM IST

नई दिल्ली: all free schemes of GOVT अब बहुत हो गया, देश में नहीं मिलेगी मुफ्त में कोई चीज। चाहे राशन हो या सब्सिडी के तौर पर सरकार की ओर से दी जाने वाली छूट! लेकिन थोड़ा रूक जाइए ये बात हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि श्रीलंका के हालात को देखते हुए ऐसा कहा जा रहा है कि भारत सरकार ऐसा फैसला ले सकती है। बताया जा रहा है कि भारत में आर्थिक संकट न आए और श्रीलंका जैसे हालात न हो जाए इसलिए अधिकारियों ने पीएम मोदी को ये सलाह दी है।

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all free schemes of GOVT मिली जानकारी के अनुसार पीएम मोदी ने शनिवार को 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने शिविर कार्यालय में सभी विभागों के सचिवों के साथ चार घंटे की लंबी बैठक की थी। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा केंद्र सरकार के अन्य शीर्ष नौकरशाह भी शामिल हुए।

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सूत्रों की माने तो बैठक के दौरान, मोदी ने नौकरशाहों से स्पष्ट रूप से कहा कि वे कमियों के प्रबंधन की मानसिकता से बाहर निकलकर अधिशेष के प्रबंधन की नयी चुनौती का सामना करें। सूत्रों ने कहा कि मोदी ने प्रमुख विकास परियोजनाओं को नहीं लेने के बहाने के तौर पर ‘‘गरीबी’’ का हवाला देने की पुरानी कहानी को छोड़ने और उनसे एक बड़ा दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा।

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कोविड-19 महामारी के दौरान सचिवों ने जिस तरह से साथ मिलकर एक टीम की तरह काम किया, उसका उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें भारत सरकार के सचिवों के रूप में कार्य करना चाहिए, न कि केवल अपने संबंधित विभागों के सचिवों के रूप में और उन्हें एक टीम के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने सचिवों से प्रतिपुष्टि (फीडबैक) देने और सरकार की नीतियों में खामियों पर सुझाव देने के लिए भी कहा, जिनमें वे भी शामिल हैं जो उनके संबंधित मंत्रालयों से संबंधित नहीं हैं।

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सूत्रों ने कहा कि 24 से अधिक सचिवों ने अपने विचार व्यक्त किए और प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी प्रतिक्रिया साझा की, जिन्होंने उन सब को ध्यान से सुना। सूत्रों ने कहा कि दो सचिवों ने हाल के विधानसभा चुनावों में एक राज्य में घोषित एक लोकलुभावन योजना का उल्लेख किया जो आर्थिक रूप से खराब स्थिति में है। उन्होंने साथ ही अन्य राज्यों में इसी तरह की योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि वे आर्थिक रूप से टिकाऊ नहीं हैं और राज्यों को श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं। श्रीलंका वर्तमान में इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। लोगों को ईंधन, रसोई गैस के लिए लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा है, आवश्यक चीजों की आपूर्ति कम है। साथ ही लोग लंबे समय तक बिजली कटौती के कारण हफ्तों से परेशान हैं।

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