Faridkot Property Case : देश में कई सारे प्रॉपर्टी मामले आज भी कोर्ट में रह कर कोर्ट की गरिमा बढ़ा रहे है। लेकिन आज उनमें से एक रिटायर हो रहा है। जी हां 35 सालो से चले आ रहे फरीदकोर्ट का एतिहासिक फैसला हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट में लंबित यह प्रॉपर्टी की लड़ाई अब खत्म होने को है। मामला फरीदकोट के महाराजा की लगभग 25 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति का है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। आज से 35 साल पहले फरीदकोट के महाराजा ने एक वसीयत बनाई थी। जिस पर उनकी सुपुत्री को बेदखल करने की बात कही गई थी। जिसके कारण प्रॉपर्टी की देख रेख महारावल खीवाजी ट्रस्ट के हांथ चला गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना कर सबको चकित कर दिया है।
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सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने माना कि इस संपत्ति पर स्वर्गीय महाराजा हरिंदर सिंह की बेटियों राजकुमारी अमृत कौर और दीपिन्दर कौर का अधिकार है। लेकिन दीपिन्दर कौर की भी मौत 2018 में हो चुकी है। महाराजा की तरफ से कथित तौर पर 1982 में बनाई गई एक वसीयत के आधार पर अब तक संपत्ति पर नियंत्रण कर रहे महारावल खीवाजी ट्रस्ट को सुप्रीम कोर्ट ने भंग कर दिया है। इस महीने के अंत यानि सितंबर के आखिरी दिन के अंदर ट्रस्ट को प्रॉपर्टी खाली करनी पड़ेगी।
यह था मामला
अमृत कौर ने पिता की इच्छा से शादी नहीं की थी, जिसके चलते पिता ने अमृत को बेदखल करने का आदेश दिया था। जिस कारण से सारी प्रापर्टी अमृत की बहन दीपिन्दर कौर के हांथ चली गई थी। दीपिन्द कौर के ट्रस्ट महारावल खीवाजी के नाम पर प्रॉपर्टी रजिस्टर की गई थी। लेकिन अब अमृत कौर ने कोर्ट में कहा था कि संपत्ति का अधिकतर हिस्सा पुश्तैनी है, उन्हें उससे वंचित नहीं किया जा सकता. निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सबने माना कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के तहत अमृत कौर संपत्ति में हिस्सेदार हैं। पूरी प्रॉपर्टी को दो बराबर भागो में बाटा जाना चाहिए।
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35 साल बाद आया एतिहासिक फैसला
चीफ जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एस रविन्द्र भाट और सुधांशु धूलिया के फैसले से लगभग 35 साल पुराने कानूनी विवाद का अंत हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि फरीदकोट रियासत के अस्तित्व में रहने के दौरान बने नियम इस मामले में लागू नहीं होंगे। इस मामले में हिंदू उत्तराधिकार कानून लागू होगा। महाराजा की 4 संतानों में बेटे हरमोहिंदर सिंह की मृत्यु 1981 में हो गई थी। तीसरी बेटी महीपिंदर कौर भी अविवाहित थीं और उनकी मृत्यु 2001 में हो गई थी। इसलिए, संपत्ति पर राजकुमारी अमृत कौर और दीपिन्दर कौर का अधिकार है।