Sanchaar Saathi App/Image Source: IBC24
Sanchaar Saathi App: साइबर फ्रॉड, ऑनलाइन ठगी और डिजिटल अरेस्ट ये आज के दौर के सबसे ज्यादा चर्चित और तनाव बढ़ाने वाले शब्द हैं। ऐसी खबरें हमें आए दिन सुनने और देखने को मिलती हैं। लोगों को इस तरह के खतरे से बचाने के लिए सरकार ने एक एप लॉन्च किया है जिसका नाम है संचार साथी एप। लेकिन इससे पहले कि लोगों का इस पर भरोसा कायम होता, विपक्ष ने इसे सरकार की जासूसी का नया हथियार बताकर सियासी बखेड़ा खड़ा कर दिया।
ऑनलाइन फ्रॉड और साइबर क्राइम के मौजूदा दौर में केंद्र सरकार ने साइबर सिक्योरिटी मजबूत करने के लिए संचार साथी एप लॉन्च किया। लेकिन मोबाइल कंपनियों को इसके लिए जारी एक फरमान पर सियासी बवाल मच गया। केंद्र सरकार ने 1 दिसंबर को मोबाइल कंपनियों को आदेश जारी किया। स्मार्टफोन में पहले से सरकारी साइबर सेफ्टी एप संचार साथी इंस्टॉल करके बेचा जाए। मोबाइल निर्माता कंपनियां 90 दिन के अंदर एप इंस्टॉल करना सुनिश्चित करें। एपल, सैमसंग, वीवो, ओप्पो और शाओमी जैसी सभी कंपनियों को यह आदेश दिए गए। इस एप को यूजर्स डिलीट या डिसेबल नहीं कर सकेंगे। पुराने फोन पर सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए यह एप इंस्टॉल किया जाएगा।
Sanchaar Saathi App: सरकार इस एप को मोबाइल यूजर की सेफ्टी और सिक्योरिटी के लिए जरूरी बता रही है। लेकिन विपक्ष ने इसे सरकार की ओर से लोगों की प्राइवेसी पर सीधा हमला बताकर निशाना साधा और इसे जासूसी एप कहा। जब विवाद बढ़ा, तो केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सफाई दी कि यह एप कंपलसरी नहीं है। यूजर चाहे तो इसे डिलीट भी कर सकते हैं।
गौरतलब है कि जुलाई 2021 में अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारतीय राजनेताओं, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और व्यवसायियों के मोबाइल में इजराइली जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस डालकर जासूसी की गई। भारत में तब इस पर भारी बवाल मचा और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। यही वजह है कि विपक्ष अब इस एप को शक की नजर से देख रहा है और इसे देशी पेगासस कहकर निशाना साध रहा है।