अलगाववाद को कैद नहीं किया जा सकता, बातचीत से समाधान तलाशना होगा : पीडीपी |

अलगाववाद को कैद नहीं किया जा सकता, बातचीत से समाधान तलाशना होगा : पीडीपी

अलगाववाद को कैद नहीं किया जा सकता, बातचीत से समाधान तलाशना होगा : पीडीपी

:   Modified Date:  January 4, 2023 / 06:00 PM IST, Published Date : January 4, 2023/6:00 pm IST

श्रीनगर, चार जनवरी (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कहा है कि अलगाववाद एक विचार है जिसे कैद नहीं किया जा सकता है और बातचीत एवं सुलह के जरिए इसका समाधान तलाश करना होगा।

पीडीपी ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र का वर्तमान दृष्टिकोण केवल ‘कश्मीरियों को और अलग-थलग करने’ तथा अलगाववाद की भावना को हवा देने का काम कर रहा है।

पीडीपी ने मंगलवार को यहां जारी अपनी मासिक पत्रिका ‘स्पीक अप’ के जनवरी संस्करण में कहा कि कश्मीरियों और अन्य भारतीयों के बीच ‘अविश्वास’ की खाई अब ‘पहले से कहीं ज्यादा चौड़ी ’ हो गई है।

पीडीपी ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘इसीलिए आधार और अन्य अनिवार्य पहचानपत्र दस्तावेजों के बाद भी कश्मीरियों को अब एक ‘जम्मू कश्मीर परिवार पहचानपत्र’ की आवश्यकता होगी जो व्यक्ति को उनके परिवारों से जोड़ती है ताकि वे सामाजिक लाभ प्राप्त कर सकें। यह अद्वितीय परिवार पहचानपत्र (आईडी) सरकार के लिए हमारे चारों ओर अपने शिकंजे को और मजबूत करने का एक और तरीका होगा ताकि वे कहीं भी कश्मीरियों की निगरानी कर सकें।’’

महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा कि कश्मीरी जमीन के एक प्रतिष्ठित टुकड़े के निवासियों से ज्यादा कुछ नहीं हैं – ये एक ऐसी सच्चाई है जो अलग अलग कानूनों से साफ जाहिर होती है जो हम पर हर कुछ महीनों में थोपे जाते हैं।

उसने कहा, ‘‘इनमें से नवीनतम भूमि अनुदान नियम -2022 है जिसके तहत पट्टे पर दी गई भूमि सरकार को सौंपनी होगी। यह भारत सरकार द्वारा भूमि हड़पने का एक और प्रयास है जो स्थानीय व्यवसायों, होटलों और अन्य प्रतिष्ठानों को बर्बाद कर देगा।’’

इसने दावा किया कि भूमि अंततः ‘‘उनके कॉर्पोरेट दोस्तों’’ द्वारा ले ली जाएगी, जैसे कई हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, एलआईसी और अन्य राष्ट्रीय संपत्तियां ली गई हैं।

इसमें कहा गया है, ‘‘सुधारों के नाम पर हमारे भूमि कानूनों में ये कठोर बदलाव, जो मालिकों के अधिकारों को खत्म करते हैं, हमारे नागरिकों को शक्तिहीन बनाने और उनकी जमीन लेने का एक और प्रयास है।’’

पीडीपी ने कहा कि 2019 के बाद जम्मू कश्मीर में वास्तविक निवेश के बारे में संसद में पेश किए गए आंकड़ों से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त किये जाने के बाद कश्मीर में व्यापक निवेश के बारे में ‘‘भारत सरकार के झांसे की सच्चाई सामने आ गई है।’’

इसमें दावा किया गया है, ‘‘पिछले वर्ष के आंकड़े 2017-18 में हमें प्राप्त हुए निवेश से आधे से भी कम हैं। भारत सरकार के झूठे दावों के विपरीत, निरसन (अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त किया जाना) हमारी समस्याओं का हल नहीं है। कोई कसर नहीं छोड़ने, हर सरकारी एजेंसी को पीछे लगाने और हरसंभव आतंकवाद रोधी कानून के बावजूद, भारत सरकार की प्रतिशोध की प्यास नहीं बुझी ।’’

पार्टी ने कहा कि कश्मीर संबंधी कदम समय के साथ और अधिक कड़े होते जा रहे हैं क्योंकि अलगाववाद पर नकेल कसने के नाम पर जमात-ए-इस्लामी की सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) द्वारा जब्त कर ली गई है।

पीडीपी ने कहा, ‘‘ अलगाववाद एक विचार है और इसे कैद नहीं किया जा सकता है।’’ पार्टी ने कहा कि अलगाववाद को बातचीत और सुलह के जरिए हल करना होगा।

उसने कहा, ‘‘हालांकि, भारत सरकार अपने वर्तमान दृष्टिकोण के माध्यम से कश्मीरियों को केवल और अलग-थलग करने के साथ ही अलगाववादी भावना को मजबूत कर रही है।’’

पीडीपी ने आरोप लगाया कि केंद्र कश्मीर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नक्शेकदम पर चलने का दावा करता है, ‘‘ इसमें कोई सच्चाई नहीं है।’’

पार्टी ने कहा कि कश्मीर के लिए सरकार द्वारा वाजपेयी की दृष्टि को साकार करने और बातचीत में संलग्न होने की प्रक्रिया बचकाना बहाने जैसी है।

जम्मू के सिदरा इलाके में हाल ही में हुई मुठभेड़ का उल्लेख करते हुए, जिसमें चार आतंकवादी मारे गए थे, पीडीपी ने कहा कि इसने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद समाप्त होने के ‘झूठे दावों’ को बेनकाब कर दिया है।

उसने कहा, ‘‘सिदरा में हाल ही में हुई मुठभेड़, यदि यह एक मुठभेड़ थी और डोंगरी में एक और दिल दहला देने वाली घटना जिसमें दो बच्चों सहित छह व्यक्ति मारे गए हैं, इसने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की समाप्ति के झूठे दावों को उजागर कर दिया है जो अब जम्मू क्षेत्र तक फैल गया है, जो पहले अपेक्षाकृत अधिक शांत था।

भाषा अमित नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)