नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार के एक मामले में सात साल जेल की सजा काटने के बावजूद दोषी के आठ साल से अधिक समय तक जेल में रहने के मामले में मध्यप्रदेश सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।
न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने राज्य सरकार से दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा।
शीर्ष अदालत ने पाया कि दोषी पर मध्य प्रदेश के सागर जिले के खुरई स्थित एक सत्र न्यायालय में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत बलात्कार समेत अन्य अपराधों के लिए मुकदमा चलाया गया था।
पीठ ने कहा, ‘‘हम जानना चाहेंगे कि इतनी गंभीर चूक कैसे हुई और याचिकाकर्ता सात साल की पूरी सजा काटने के बाद भी आठ साल से अधिक समय तक जेल में क्यों रहा। हम चाहते हैं कि राज्य सरकार इस संबंध में उचित स्पष्टीकरण दे।’’
अधीनस्थ अदालत ने दोषी व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।
पीठ ने इस तथ्य पर गौर किया कि दोषी ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी, जहां उसकी याचिका आंशिक रूप से स्वीकार कर ली गई थी और उसकी सजा को आजीवन कारावास से घटाकर न्यूनतम सात वर्ष के कठोर कारावास में बदल दिया गया था।
अदालत ने 22 अगस्त के अपने आदेश में कहा, ‘‘गौर करने वाली बात है कि उच्च न्यायालय ने अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए आजीवन कारावास की सजा को घटाकर न्यूनतम सात वर्ष के सश्रम कारावास में बदल दिया। इसके आधार पर याचिकाकर्ता को छह जून, 2025 को ही जेल से रिहा किया जा सकता था।’’
इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले में सुनवाई आठ सितंबर तक स्थगित कर दी।
भाषा सुरभि दिलीप
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