मदुरै (तमिलनाडु), 22 दिसंबर (भाषा) तिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी पर स्थित एक दरगाह के सालाना उत्सव की शुरुआत हिंदू श्रद्धालुओं के एक समूह के विरोध प्रदर्शन के बीच झंडा लगाने के साथ हुई।
हिंदू धर्मावलंबी एक स्थानीय अधिकारी से कार्तिगई दीपम का दीया जलाने के मामले में उच्च न्यायालय का फैसला लागू नहीं होने और दरगाह को अनुमति देने पर सवाल उठा रहे थे।
तिरुमंगलम राजस्व संभाग अधिकारी से अनुमति मिलने के बाद, 6 जनवरी, 2026 को होने वाले ‘संथानाकुडू’ उत्सव के सिलसिले में 21 दिसंबर की रात को हजरत सुल्तान सिकंदर बादुशाह औलिया दरगाह पर झंडा फहराया गया।
अधिकारी के फैसले का विरोध करते हुए, हिंदुओं के एक समूह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पदाधिकारियों ने रविवार रात ‘सड़क रोको’ आंदोलन किया और यह सवाल किया कि एक समुदाय को अनुमति कैसे दी जा सकती है, जबकि दरगाह के पास एक पत्थर के खंभे पर कार्तिगई दीपम जलाने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया गया।
प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। हिंदू मुन्नानी और भाजपा दोनों ने स्थानीय अधिकारियों पर ‘दोहरे मापदंड’ अपनाने का आरोप लगाया।
कुछ भक्तों ने दीया जलाने की अनुमति देने के एकल न्यायाधीश के आदेश को लागू नहीं करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ में अवमानना की कार्रवाई का अनुरोध किया था। मुदरै पीठ के एकल न्यायाधीश ने एक दिसंबर को इस संबंध में अनुमति दी थी।
इस बीच, पुलिस ने सोमवार को हिंदू भक्तों को सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक तिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी पर बने काशी विश्वनाथर मंदिर में पूरी तलाशी के बाद जाने की इजाजत दे दी।
भाषा वैभव माधव
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