भाषाओं के संरक्षण, समृद्धि के लिये उपराष्ट्रपति ने जन आंदोलन का समर्थन किया

भाषाओं के संरक्षण, समृद्धि के लिये उपराष्ट्रपति ने जन आंदोलन का समर्थन किया

भाषाओं के संरक्षण, समृद्धि के लिये उपराष्ट्रपति ने जन आंदोलन का समर्थन किया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:13 pm IST
Published Date: June 27, 2021 10:36 am IST

विशाखापट्टनम, 27 जून (भाषा) उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने रविवार को भाषाओं के संरक्षण व समृद्धि के लिये जन आंदोलन की आवश्यकता पर जोर दिया जिससे आने वाली पीढ़ियों तक हमारी भाषा, परंपराओं का लाभ पहुंचाने के लिये सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों को पूरा किया जा सके।

सभी पीढ़ियों और भौगोलिक स्थिति वाले लोगों को एकजुट करने की भाषा की ताकत को उजागर करते हुए नायडू ने हमारी भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं के संरक्षण, समृद्धि व प्रसार के लिये ठोस प्रयास किये जाने का आह्वान किया।

उपराष्ट्रपति ने छठे वार्षिक ‘राष्ट्रेतारा तेलुगु समाख्या’ सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान सुझाव दिया कि तेलुगु लोगों को तेलुगु भाषा और हमारी स्थानीय परंपराओं को फिर से मजबूती देने के लिये एक साथ आना चाहिए।

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किसी भाषा की अनदेखी से उसका क्षरण होने का जिक्र करते हुए नायडू ने कहा कि यह हर किसी का दायित्व है कि वह अपनी मातृभाषा का संरक्षण करे और उसे बढ़ावा दे और दूसरी भाषाओं व संस्कृतियों को कमतर दिखाए बगैर ऐसा किया जाना चाहिए।

उन्होंने मातृ भाषा में प्राथमिक शिक्षा की जरूरत को भी रेखांकित किया जिसे नई शिक्षा नीति, 2020 में परिकल्पित किया गया है।

उन्होंने कहा कि फिलहाल राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और भारत के प्रधान न्यायाधीश समेत देश की शीर्ष संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों में से सभी ने प्राथमिक शिक्षा अपनी मातृभाषा में हासिल की।

उन्होंने कहा, “लोगों को यह गलत धारणा नहीं रखनी चाहिए कि अगर किसी व्यक्ति को मातृ भाषा में शिक्षा मिलती है तो वह जीवन में सफल नहीं होगा या आगे नहीं बढ़ेगा। इसे खारिज करने के लिये हमारे पास पूर्व और वर्तमान में कई उदाहरण हैं।”

भाषा

प्रशांत नीरज

नीरज


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