नई दिल्ली: Lockdown imposed in india कोरोना का संक्रमण एक बार फिर पूरे देश में तेजी से फैल रहा है। संक्रमण की तीसरी लहर अन्य दो लहरों से पांच गुना तेज है। हालात को देखते हुए कई राज्यों की सरकारों ने पाबंदी लगा दी है। वहीं, कुछ राज्यों में स्कूल कॉलेजों को बंद करने का आदेश दिया है। वर्तमान में संक्रमण की स्थिति को देखें तो सात राज्यों की R वैल्यू 3 के ऊपर है यानी यहां कोरोना विस्फोटक होना तय है। हालात को देखते हुए अब ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या देश तीसरे लाकडाउन की कगार पर पहुंच गया है? क्या सरकार तीसरे लाकडाउन की तैयारी में है? आखिर इस पर क्या होगी सरकार की रणनीति? कोरोना से निपटने में सरकार की क्या है तैयारी?
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Lockdown imposed in india बता दें कि देश में सोमवार को कोरोना संक्रमण के 1,79,729 मामले सामने आए और इस दौरान 146 लोगों की जान चली गई. वहीं देश में कोरोना संक्रमण के मामला बढ़कर अब 3,57,07,727 पहुंच चुका है। वहीं कुल मरने वालों की संख्या 4,83,936 हो चुकी है। देश में फिलहाल कोरोना के 7,23,619 एक्टिव मरीज हैं। वहीं, अबतक कुल 3,45,172 लोग इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं।
केंद्र सरकार के पहले फार्मूले को देखा जाए तो लाकडाउन की कितनी संभावना है। संक्रमण की रफ्तार को देखा जाए तो कोरोना के मामलों में ऐसी तेजी पहले कभी नहीं दिखी। इसलिए अगर पहले लाकडाउन के फार्मूले से चलें तो केंद्र सरकार को अब तक लाकडाउन लगा देना चाहिए। इससे संक्रमण की गति को नियंत्रित किया जा सके। तीसरी लहर के दौरान छह जनवरी तक केस डबल होने की रफ्तार 454 दिन पर आ गई और इस दौरान रोज आने वाले कोरोना संक्रमण के मामलों में 18 गुना बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन हालात अभी काबू में है। सरकार को इस बात से राहत है कि अस्पताल में मरीजों की आमद कम है।
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डॉ. पीएन अरोड़ा का कहना है कि इस वक्त देश में स्वास्थ्य का आधारभूत ढांचा मजबूत हुआ है। कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर के बाद देश में स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत हुई है। आज देश में करीब 18.03 लाख आइसोलेशन बेड का इंतजाम है। इसके अलावा 1.24 लाख आइसीयू बेड के इंतजाम है। देश में 3.236 आक्सीजन के प्लांट है। इनकी क्षमता 3,783 मीट्रिक टन है। 1,14 लाख आक्सीजन कंसंट्रेटर केंद्र ने राज्य सरकार को मुहैया कराए हैं। 150 करोड़ वैक्सीन के डोज दिए जा चुके हैं। इसमें 64 फीसद आबादी को एक डोज मिल चुकी है और 46 फीसद आबादी को वैक्सीन की दो डोज लग चुकी है। ऐसे में यह उम्मीद कम ही है देश में कठोर लाकडाउन की स्थिति बनेगी। फिलहाल कुछ राज्यों को छोड़ दिया जाए तो स्थिति काबू में हैं। लाकडाउन से बचने के लिए हमें सरकार की गाइडलाइन और सुझावों पर कठोरता से अमल करना होगा। कोरोना प्रोटोकाल को कड़ाई से पालन करना होगा।
सवाल यह है कि अगर देश के दूसरे लाकडाउन के फार्मूले पर चलें तो भारत में इसकी कितनी संभावना है। हालांकि, इस बार हालात थोड़े भिन्न हैं। डा. पीएन अरोड़ा का कहना है कि एक राहत वाली बात यह है कि देश में कोरोना की रफ्तार भले तेज हो, लेकिन अस्पताल में संक्रमितों की भर्ती होने का अनुपात दूसरी लहर की अपेक्षा काफी धीमी है। इसके अलावा देश में दूसरे लाकडाउन के बाद देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की क्षमता बढ़ी है। कुछ राज्यों को छोड़ दिया जाए तो पहले जैसा पैनिक नहीं है। हालांकि, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में कोरोना की स्थिति थोड़ी गंभीर बनी हुई है। इसके बाद झारखंड, बिहार, यूपी, राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात सहित कई राज्यों में नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है। एमपी में स्कूलों और कालेजों में 50 फीसद की उपस्थिति के साथ अन्य पाबंदियां लगाई गई है। राज्य में सार्वजनिक स्थलों पर जाने के लिए वैक्सीनेशन को जरूरी बनाया गया है। यूपी में 8वीं तक के स्कूल बंद कर दिए गए हैं। सार्वजनिक स्थानों एवं समारोह में 200 लोगों की अनुमति है। दिल्ली में स्कूल और कालेज बंद हैं। सरकारी दफ्तरों में वर्क फ्राम होम की व्यवस्था की गई है। गुजरात में स्कूल और कालेज खुले हैं, लेकिन सार्वजनिक स्थलों में वैक्सीनेशन को जरूरी किया गया है। इन तमाम उपबंधों से ओमिक्रोन को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।