Donald Trump/Image Source: IBC24
वॉशिंगटन: Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल करते हुए आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच चल रहे 37 साल पुराने संघर्ष को समाप्त कराने में अहम भूमिका निभाई है। व्हाइट हाउस में हुई एक अहम बैठक में आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान और अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
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Donald Trump: यह संघर्ष नागोर्नो-काराबाख नामक क्षेत्र को लेकर था जो भौगोलिक रूप से अजरबैजान का हिस्सा है लेकिन यहां पर अर्मेनियाई आबादी बहुसंख्यक है। इस क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच दशकों से तनाव, हिंसा और युद्ध का सिलसिला जारी था। वर्षों से चले आ रहे इस टकराव में हजारों लोगों की जान गई और लाखों लोग बेघर हो गए। व्हाइट हाउस में हुई इस त्रिपक्षीय बैठक के दौरान ट्रंप ने दोनों देशों के नेताओं के साथ व्यापक चर्चा की और अंततः एक औपचारिक शांति समझौता संपन्न कराया। समझौते के तहत दोनों देश न सिर्फ सैन्य संघर्ष को पूरी तरह समाप्त करेंगे बल्कि आर्थिक सहयोग, व्यापार, सीमा नियंत्रण और कूटनीतिक रिश्तों को भी आगे बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान ने व्हाइट हाउस में शांति और आर्थिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए📌 ऐतिहासिक करार से दोनों देशों में स्थायी शांति और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद pic.twitter.com/OW0ZAKs8Kz
— Madhurendra kumar मधुरेन्द्र कुमार (@Madhurendra13) August 9, 2025
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Donald Trump: ट्रंप ने इस अवसर पर कहा की यह सिर्फ दो देशों के बीच शांति नहीं बल्कि एक नए युग की शुरुआत है। अमेरिका हमेशा से विश्व शांति का समर्थक रहा है और हम आगे भी इसी दिशा में काम करते रहेंगे। राष्ट्रपति ट्रंप इससे पहले भी विश्वभर के कई संघर्षों को समाप्त कराने का दावा कर चुके हैं। अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने अब तक भारत-पाकिस्तान, इजराइल-ईरान, थाईलैंड-कंबोडिया, रवांडा-कांगो, सर्बिया-कोसोवो और मिस्र-इथियोपिया जैसे जटिल मुद्दों में मध्यस्थता की कोशिशें की हैं। हालांकि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लेकर उनकी कोशिशें अब तक सफल नहीं हो पाई हैं लेकिन आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच इस ऐतिहासिक समझौते को एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच यह संघर्ष 1990 के दशक की शुरुआत से ही जारी था।