Mumbai News: नाबालिग के प्राइवेट पार्ट को छूना भी रेप, सहमति मायने नहीं रखती, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Mumbai News: नाबालिग के प्राइवेट पार्ट को छूना भी रेप, सहमति मायने नहीं रखती, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला Minor Sexual Assault

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  • Publish Date - October 21, 2025 / 01:30 PM IST,
    Updated On - October 21, 2025 / 01:30 PM IST

Mumbai News/Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख सख्त,
  • नाबालिग के साथ छूना भी माना जाएगा रेप,
  • सहमति नहीं चलेगी,

मुंबई: Mumbai News:  बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने पॉक्सो मामलों में अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि नाबालिग के साथ यौन अपराध में थोड़ी भी पेनिट्रेशन को बलात्कार माना जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में नाबालिग की सहमति का कोई महत्व नहीं होगा। वर्धा जिले के 38 वर्षीय ड्राइवर की अपील खारिज करते हुए कोर्ट ने उसकी 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा बरकरार रखी।

आरोपी पर दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न का आरोप था। जस्टिस निवेदिता मेहता की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि बच्चियों, उनकी मां के बयानों और मेडिकल-फोरेंसिक सबूतों से अपराध साबित हुआ है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि घटना के 15 दिन बाद की गई मेडिकल जांच में चोट न होना, आरोपी की हरकत को केवल ‘कोशिश’ मानने का आधार नहीं बन सकता।

Mumbai News:  मामले के अनुसार आरोपी ने अमरूद का लालच देकर 5 और 6 साल की दो बच्चियों को अपने पास बुलाया और उन्हें अश्लील फिल्म दिखाकर गलत हरकत की। आरोपी को पॉक्सो एक्ट की धारा 6 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376(2)(i) व 511 के तहत दोषी ठहराया गया था। इस फैसले को कानूनी विशेषज्ञ पॉक्सो एक्ट के तहत नाबालिगों की सुरक्षा को मजबूत करने वाला अहम कदम बता रहे हैं।

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पॉक्सो एक्ट के तहत नाबालिग के साथ यौन अपराध में पेनिट्रेशन की क्या मान्यता है?

बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि नाबालिग के साथ थोड़ी भी पेनिट्रेशन को बलात्कार माना जाएगा और नाबालिग की सहमति का कोई महत्व नहीं होगा।

आरोपी पर किस धारा के तहत कार्रवाई हुई?

आरोपी को पॉक्सो एक्ट की धारा 6 और IPC धारा 376(2)(i) व 511 के तहत दोषी ठहराया गया।

क्या मेडिकल जांच में चोट न होना अपराध को 'कोशिश' मानने का आधार बनता है?

नहीं, कोर्ट ने कहा कि घटना के 15 दिन बाद की गई मेडिकल जांच में चोट न होना अपराध को केवल 'कोशिश' मानने का आधार नहीं बन सकता।