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CG School news: सरकार ने दूर की शिक्षक संगठनों की भ्रांतियां, छत्तीसगढ़ में स्कूल-शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण का कर रहे थे विरोध
Rationalization of school teachers in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया और शिक्षकों की भ्रांतियां को दूर करने के संबंध में मीडिया को जानकारी भेजी। जिसके तहत बताया गया यह प्रक्रिया बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने, शिक्षकों के संतुलित वितरण और शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुपालन के उद्देश्य से की जा रही है।
Publish Date - May 20, 2025 / 10:45 PM IST,
Updated On - May 20, 2025 / 10:47 PM IST
cg school news, image source: ibc24
HIGHLIGHTS
शिक्षक संगठनों ने दी थी 28 मई को मंत्रालय घेराव की चेतावनी
स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया और शिक्षकों की भ्रांतियां को दूर करने दी जानकारी
युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य शिक्षकों की संख्या को कम करना नहीं
60 से कम दर्ज संख्या वाली शालाओं को लेकर फैलाई जा रही भ्रांति निराधार
रायपुर: CG School news, छत्तीसगढ़ में स्कूलों-शिक्षकों की युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के विरोध में राज्य के 23 शिक्षक संगठन सामने आ चुके हैं। आज इन संगठनों के पदाधिकारियों ने नया रायपुर इंद्रावती पहुंचकर शिक्षा विभाग के अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। शिक्षक संगठनों ने 28 मई को मंत्रालय घेराव की चेतावनी देते हुए कहा अगर 27 मई तक मांगे पूरी नहीं होगी, तो मंत्रालय घेराव होगा।
इसके बाद छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया और शिक्षकों की भ्रांतियां को दूर करने के संबंध में मीडिया को जानकारी भेजी। जिसके तहत बताया गया यह प्रक्रिया बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने, शिक्षकों के संतुलित वितरण और शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुपालन के उद्देश्य से की जा रही है।
शिक्षा विभाग का मानना है कि 2008 के सेटअप की प्रासंगिकता नहीं रही, अब शिक्षा का अधिकार अधिनियम ही युक्तियुक्तकरण का आधार है। 2008 के स्कूल सेटअप में प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षकों की व्यवस्था थी, जो उस समय की आवश्यकताओं के अनुरूप थी, लेकिन 01 अप्रैल 2010 से पूरे देश में लागू हुए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के बाद नए मानक लागू हुए।
शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि 60 से कम दर्ज संख्या वाली शालाओं को लेकर फैलाई जा रही भ्रांति निराधार हैं। कुछ संगठनों ने यह आशंका व्यक्त की थी कि 60 से कम दर्ज संख्या वाली 20 हजार से अधिक शालाएं व्यवहारिक रूप से एकल-शिक्षकीय हो जाएंगी।
इस पर विभाग ने स्पष्ट किया कि इन स्कूलों में दो शिक्षकों की व्यवस्था की गई है, जिसमें प्रधान पाठक भी एक शिक्षकीय पद है। अतः यह कहना गलत है कि ये शालाएं एक शिक्षक के भरोसे चलेंगी। शिक्षा विभाग ने यह दोहराया है कि युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य शिक्षकों की संख्या को कम करना नहीं, बल्कि उनकी तैनाती को तर्कसंगत बनाकर सभी विद्यार्थियों को समान अवसर और संसाधन उपलब्ध कराना है।
इस संबंध में विस्तृत जानकारी यहां नीचे दिए पीडीएफ में देख सकते हैं।
युक्तियुक्तकरण (Rationalization) प्रक्रिया क्या है?
उत्तर: युक्तियुक्तकरण एक प्रक्रिया है जिसमें स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती को छात्रों की संख्या, स्कूल की ज़रूरत और शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE Act 2009) के मानकों के अनुसार संतुलित किया जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक हों और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
क्या युक्तियुक्तकरण से शिक्षकों की संख्या कम की जा रही है?
उत्तर: नहीं। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इसका उद्देश्य शिक्षकों की संख्या को कम करना नहीं है, बल्कि उनकी तर्कसंगत और आवश्यकतानुसार तैनाती करना है। सभी बच्चों को समान शिक्षा अवसर देने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।
60 से कम दर्ज संख्या वाली स्कूलों का क्या होगा?
उत्तर: कुछ लोगों को आशंका थी कि ऐसी स्कूलें एकल-शिक्षकीय हो जाएंगी, लेकिन विभाग ने साफ किया है कि ऐसी शालाओं में दो शिक्षकों की व्यवस्था की गई है – जिनमें से एक प्रधान पाठक भी शिक्षण कार्य करता है। इसलिए यह भ्रांति है कि ये स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चलेंगे।
शिक्षक संगठन इस प्रक्रिया का विरोध क्यों कर रहे हैं?
उत्तर: 23 शिक्षक संगठन इस प्रक्रिया का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे कुछ शिक्षकों को दूरस्थ या अवांछित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा सकता है, या स्कूलों की मूल संरचना में बदलाव हो सकता है। उन्होंने 27 मई तक मांगे पूरी न होने पर 28 मई को मंत्रालय घेराव की चेतावनी दी है।
यह प्रक्रिया किस आधार पर की जा रही है – 2008 का सेटअप या RTE कानून?
उत्तर: शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि अब युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया का आधार 2008 का सेटअप नहीं बल्कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act 2009) है, जो 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ। यह अधिनियम बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है और इसके अनुसार ही नई व्यवस्था की जा रही है।