Indian Railway Update: दीवाली-छठ पर कैसे पहुंचेंगे घर?.. लम्बी हुई ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट, आप भी देखें क्या हैं रेलवे के हालात

दीपावली 2025 के निकट रांची से दिल्ली और पटना जाने वाली प्रमुख ट्रेनों में टिकट की भारी कमी और लंबी वेटिंग लिस्ट यात्रियों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। राजधानी और स्वर्ण जयंती जैसी लोकप्रिय ट्रेनों में थर्ड एसी कोटे पर वेटिंग 100 से अधिक हो चुकी है। स्पेशल ट्रेनों के बढ़े हुए किराए ने आम यात्रियों पर आर्थिक दबाव भी बढ़ा दिया है, जिससे कई लोग बस, निजी कोच और टैक्सी सेवाओं का सहारा ले रहे हैं।

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  • Publish Date - October 6, 2025 / 02:48 PM IST,
    Updated On - October 6, 2025 / 03:10 PM IST

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HIGHLIGHTS
  • रांची-दिल्ली और रांची-पटना मार्ग की ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट सैकड़ों पार, टिकट की भारी किल्लत।
  • स्पेशल ट्रेनों में किराया 20–30% तक बढ़ा, यात्रियों की जेब पर बोझ।
  • बस और टैक्सी जैसे वैकल्पिक साधनों में भी भीड़ और बढ़ा किराया।

Indian Railway Update: दीपावली पर घर जाने की प्लानिंग करने वाले यात्रियों के लिए ट्रेन टिकट मिलना इस बार आसान नहीं रहा। रांची से दिल्ली और पटना जाने वाली प्रमुख ट्रेनों में आरक्षण की स्थिति बेहद खराब है। वेटिंग लिस्ट लंबी हो चुकी है और कई ट्रेनों में टिकट की उपलब्धता ‘नो रूम’ या ‘वेटिंग फुल’ दिखा रही है। इसके साथ ही, स्पेशल ट्रेनों में बढ़े किराए ने यात्रियों को परेशानी में डाल दिया है। दीपावली से पहले रांची-दिल्ली और रांची-पटना रूट की ट्रेनों में सीटों की भारी कमी और बढ़े किराए से यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वेटिंग लिस्ट लंबी होने के कारण लोग बस और टैक्सी जैसे वैकल्पिक साधनों की ओर रुख कर रहे हैं लेकिन ये विकल्प भी सीमित साबित हो रहे हैं।

ट्रेनों में वेटिंग सूची सैकड़ों के पार

इस साल 21 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी। शहरों में काम करने वाले हजारों लोग अपने परिवार के साथ त्योहार मनाने के लिए घर लौटना चाहते हैं। लेकिन ट्रेनों में सीमित सीटों और भारी भीड़ के कारण आरक्षण मिलना बहुत मुश्किल हो गया है। रांची-दिल्ली मार्ग पर राजधानी, स्वर्ण जयंती और गरीब रथ जैसी फेमस और ज्यादा चलने वाली ट्रेनों में वेटिंग सूची सैकड़ों के पार पहुंच चुकी है। वहीं रांची-पटना और आसपास के रूटों पर भी यात्रियों को यही समस्या झेलनी पड़ रही है।

रांची-दिल्ली रूट की स्थिति

• स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस में थर्ड एसी कोटे पर वेटिंग 17 से ऊपर है।
• राजधानी एक्सप्रेस की थर्ड एसी में वेटिंग सूची 100 से भी अधिक हो चुकी है।
• गरीब रथ एक्सप्रेस में स्थिति गंभीर है, बहुत कम यात्रियों को कन्फर्म टिकट मिल रहे हैं।
• रांची-आनंद विहार स्पेशल ट्रेन में अभी टिकट उपलब्ध हैं, लेकिन बुकिंग तेजी से भरती रही है।

रांची-पटना मार्ग पर चुनौतियां

• पाटलिपुत्र एक्सप्रेस में 15 अक्टूबर से ही वेटिंग शुरू हो गई थी।
• हटिया-आईपीआर एक्सप्रेस में अभी टिकट मिल रहे हैं लेकिन भीड़ के कारण कोटे के जल्द भरने की संभावना है।
• रांची-गोरखपुर स्पेशल ट्रेन में 18 अक्टूबर से वेटिंग की स्थिति बनी हुई है।
अन्य लोकल और एक्सप्रेस ट्रेनों में भी स्थिति जटिल है। कई ट्रेनों की बुकिंग हफ्तों पहले ही फुल हो चुकी है और वेटिंग लिस्ट लंबी खिंच रही है।

किराए में हो रही बढ़ोतरी

कई यात्रियों ने बताया कि टिकट खुलते ही उन्होंने रिजर्वेशन करने की कोशिश की, लेकिन कुछ ही मिनटों में ‘रिग्रेट’ मैसेज दिखने लगा। बिहार और झारखंड से दिल्ली की ओर जाने वाली ट्रेनों में वेटिंग रिकॉर्ड समय में भर रही है। स्पेशल ट्रेनों में किराया 20–30% तक अधिक रखा गया है, जिसके कारण आम यात्रियों पर आर्थिक दबाव बढ़ गया है। इसके अलावा, कुछ लोगों को वेटिंग में यात्रा करनी पड़ रही है जो त्योहार के समय और भी असुविधाजनक साबित हो रही है।

यात्री बस, निजी कोच और टैक्सी सेवाओं का सहारा ले रहे

ट्रेन टिकट न मिलने पर यात्री बस, निजी कोच और टैक्सी सेवाओं का सहारा ले रहे हैं। लेकिन लंबी दूरी की बस यात्रा बुजुर्गों और बच्चों के लिए मुश्किल भरी है। निजी वाहनों और साझा टैक्सियों की मांग बढ़ने से उनके किराए में भी तेजी आई है। रात में यात्रा के दौरान सुरक्षा और सुविधा को लेकर भी लोग काफी चिंतित हैं। बिहार सहित कई राज्यों ने अंतर्राज्यीय बस सेवाओं में वृद्धि की है लेकिन यात्रियों की भारी भीड़ के मुकाबले यह व्यवस्थाएं नाकाफी साबित हो रही हैं।

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दीपावली के दौरान ट्रेन टिकट मिलना मुश्किल क्यों हो रहा है?

त्योहार पर यात्रियों की संख्या बढ़ने, सीमित कोच और सीटों की कमी के कारण वेटिंग लिस्ट लंबी हो रही है।

क्या स्पेशल ट्रेनों में टिकट उपलब्ध हैं?

कुछ स्पेशल ट्रेनों में टिकट फिलहाल उपलब्ध हैं, लेकिन बुकिंग तेजी से भर रही है और किराया सामान्य से अधिक है।

क्या बस या अन्य विकल्प बेहतर हैं?

बस और टैक्सी का विकल्प मौजूद है, लेकिन भीड़, लंबी यात्रा और बढ़े किराए के कारण ये भी सीमित राहत दे रहे हैं।