Promotion: भोपाल। प्रमोशन की आस लगाए सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों को 6 साल बाद भी इंतजार ही करना पड़ रहा है, हाई कोर्ट की रोक के बाद पिछले 6 सालों के दौरान 70 हजार सरकारी अधिकारी कर्मचारी बिना पदोन्नति के ही रिटायर हो गए। वहीं प्रदेश में सवा 3 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी अधिकारियों को पदोन्नति का इंतजार है। 6 साल में सरकारें बदलीं, चिंतन और मंथन भी खूब हुआ, प्रमोशन का फार्मूला भी बन गया लेकिन आम सहमति नहीं होने के चलते उसपर अमल नहीं हुआ, ऐसे में कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ी है, सरकार के द्वारा प्रस्तावित पदोन्नति नियम का ड्राफ्ट अब कर्मचारी संगठनों के पाले में है।
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Promotion: सरकार ने प्रमोशन के लिए तैयार ड्राफ्ट को सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था यानी सपाक्स और अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ यानी अजाक्स को सौंप कर दोनों संगठनों से सुझाव मांगे है। सुझाव मिलने के बाद प्रस्ताव परीक्षण के लिए वरिष्ठ सचिवों की समिति के पास भेजा जाएगा। इसके बाद कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। पदोन्नति प्रस्ताव में आरक्षित वर्ग एसटी से 20 फीसदी और एससी से 16 फीसदी कुल पदों का 36 प्रतिशत आरक्षित कर बाकी पदों को अनारक्षित से भरना तय किया गया है। प्रमोशन में आरक्षण को लेकर तैयार सरकार के ड्राफ्ट का सपाक्स और अजाक्स दोनों संगठन अपने अपने तर्कों के आधार पर विरोध कर रहे है और आमने सामने है।
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Promotion: आरक्षण के प्रस्ताव से सपाक्स के प्रदेश अध्यक्ष केएस तोमर ने नाराजगी जताते हुए विरोध का ऐलान कर दिया है सपाक्स का कहना है कि सरकार का प्रस्ताव, सामान्य पिछड़ा और अल्पसंख्यक विरोधी है। प्रस्ताव पुराना है सिर्फ एक बदलाव किया गया, सिर्फ बैकलॉग के पदों को लेकर बदलाव किया गया है। इस प्रस्ताव में सिर्फ अजाक्स वर्ग को फायदा होगा, सरकार सामान्य, पिछड़ा वर्ग की नस्ल खत्म करना चाहती है। प्रमोशन में आरक्षण का प्रस्ताव सरकार के दबाव में बनाया गया है। सपाक्स वर्ग के कर्मचारी बिल्कुल प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे। प्रस्ताव में सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेशों की भी प्रस्ताव में अवहेलना की गई है।
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Promotion: प्रमोशन में आरक्षण के प्रस्ताव का सपाक्स के बाद अजाक्स भी विरोध कर रहा है। अजाक्स महामंत्री के एस एल सूर्यवंशी का कहना है कि ड्राफ्ट संविधान और सुप्रीम कोर्ट के नियमों के विरुद्ध है। प्रस्ताव लागू होगा तो अनारक्षित वर्ग को फायदा होगा। जनसंख्या के हिसाब से परसेंटेज फिक्स होना चाहिए। अजाक्स ने आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रस्ताव सपाक्स द्वारा तैयार करवाया गया सपाक्स पूरे मामले पर झूठ बोल रहा है। गौरतलब है कि एमपी हाईकोर्ट ने अप्रैल 2016 में राज्य सरकार के पदोन्नति नियम को निरस्त कर दिया था, तभी से अधिकारी-कर्मचारियों के प्रमोशन नहीं हो पा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण मामला अटक गया है। अब सरकार ने प्रमोशन के लिए ड्राफ्ट तैयार किया है लेकिन उसका भी विरोध शुरू हो गया है।