Chhatarpur News: कुत्ते के लिए बैंड-बाजा, भोज और अंतिम संस्कार… ‘तिलकधारी’ की विदाई ने भावुक किया पूरा गांव, अस्थियां जाएंगी प्रयागराज विसर्जन के लिए

Chhatarpur News: कुत्ते के लिए बैंड-बाजा, भोज और अंतिम संस्कार… 'तिलकधारी' की विदाई ने भावुक किया पूरा गांव, अस्थियां जाएंगी प्रयागराज विसर्जन के लिए

Chhatarpur News/Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • छतरपुर में इंसानियत की अनोखी मिसाल,
  • कुत्ते का हिंदू रीति से अंतिम संस्कार,
  • अस्थियां जाएंगी प्रयागराज विसर्जन के लिए,

छतरपुर: Chhatarpur News:  छतरपुर ज़िले के राजनगर थाना क्षेत्र के ग्राम पिपट में एक पालतू कुत्ते का हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया। कुत्ते का नाम था तिलकधारी, जिसे उसके मालिक सद्दू पटेरिया ने अपने बेटे की तरह पाला था। उसकी मृत्यु के बाद बाकायदा हिंदू रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार किया गया।

तस्वीरें छतरपुर ज़िले के पिपट गाँव की हैं जहाँ एक पालतू कुत्ते का अंतिम संस्कार ठीक वैसे ही किया गया जैसे किसी इंसान का होता है। दस साल पहले सद्दू पटेरिया ने सड़क पर मिली एक बेसहारा कुतिया रामकली को सहारा दिया था। रामकली की मृत्यु के बाद उसका एक बच्चा बचा जिसे सद्दू ने पाला और नाम दिया तिलकधारी।

Chhatarpur News:  नामकरण भी भव्य था बैंड-बाजे बजे, गाँववालों ने दावत खाई, नाच-गाना हुआ, और तिलकधारी परिवार का हिस्सा बन गया। लेकिन अब वही तिलकधारी इस दुनिया से विदा हो चुका है। सद्दू ने उसका अंतिम संस्कार हिंदू विधि-विधान से किया है। इतना ही नहीं अब उसकी अस्थियाँ प्रयागराज ले जाकर विसर्जित की जाएँगी। यह कहानी सिर्फ़ एक कुत्ते की नहीं है बल्कि उस रिश्ते की है जहाँ इंसानियत और मोहब्बत हर सीमा को लांघ जाती है।

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"छतरपुर डॉग फ्यूनरल" क्या मामला है?

छतरपुर जिले के पिपट गांव में एक पालतू कुत्ते 'तिलकधारी' का हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

"छतरपुर डॉग फ्यूनरल" में किस प्रकार की रस्में निभाई गईं?

तिलकधारी का अंतिम संस्कार वैदिक मंत्रों और विधि-विधान से किया गया, जैसे किसी इंसान का किया जाता है। उसकी अस्थियाँ प्रयागराज में विसर्जित की जाएंगी।

"छतरपुर डॉग फ्यूनरल" का मालिक कौन था?

तिलकधारी को सद्दू पटेरिया नामक व्यक्ति ने अपने बेटे की तरह पाला था और उसके निधन पर उसका अंतिम संस्कार पूरे मान-सम्मान के साथ किया।

क्या "छतरपुर डॉग फ्यूनरल" जैसी घटनाएँ पहले भी हुई हैं?

भारत में पालतू जानवरों को परिवार का सदस्य माना जाता है, लेकिन इस तरह का भावनात्मक और पारंपरिक संस्कार बेहद दुर्लभ है।

क्या "छतरपुर डॉग फ्यूनरल" कानूनी रूप से स्वीकार्य है?

हां, जब तक प्रक्रिया से किसी को नुकसान नहीं होता और सार्वजनिक शांति भंग नहीं होती, तब तक इस तरह के संस्कारों पर कोई आपत्ति नहीं होती।