Hinglaj Mandir: भारत में इस जगह है चमत्कारिक मां हिंगलाज मंदिर, अंग्रेज अफसर ने हटानी चाही थी प्रतिमा, पर खदान धंसी और हो गई मौत, नवरात्र में दूर-दूर से उमड़ रहे श्रद्धालु

Hinglaj Mandir: भारत में इस जगह है चमत्कारिक मां हिंगलाज मंदिर, अंग्रेज अफसर ने हटानी चाही थी प्रतिमा, पर खदान धंसी और हो गई मौत, नवरात्र में दूर-दूर से उमड़ रहे श्रद्धालु

  • Reported By: Ajay Dwivedi

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  • Publish Date - October 1, 2025 / 05:07 PM IST,
    Updated On - October 1, 2025 / 05:10 PM IST

Hinglaj Mandir/Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • छिंदवाड़ा में विराजित मां हिंगलाज,
  • बलूचिस्तान शक्तिपीठ से है खास संबंध,
  • 3201 कलश स्थापना और अखंड ज्योत,

छिंदवाड़ा: Hinglaj Mandir:  छिंदवाड़ा जिले के परासिया क्षेत्र में स्थित मोहन कॉलरी कोयला खदान के पास बसे मां हिंगलाज के दरबार का धार्मिक महत्व अनोखा और ऐतिहासिक है। नवरात्रि के पावन अवसर पर यहां श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। इस वर्ष भी माता के दरबार में 3201 मनोकामना कलश स्थापित किए गए हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से भक्तों की हर मुराद पूरी होती है।

Chhindwara News: यह मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित शक्तिपीठ से जुड़ा हुआ है। दरअसल, मां हिंगलाज का प्रमुख मंदिर बलूचिस्तान में स्थित है जो सती के मस्तिष्क से स्थापित हुआ शक्तिपीठ माना जाता है। इसे प्रथम पूज्यनीय शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त है। कहते हैं कि कई वर्ष पूर्व पाकिस्तान के व्यापारी जो मां हिंगलाज को अपनी कुलदेवी मानते थे, व्यापार के सिलसिले में इस क्षेत्र में आए थे। अपने साथ वे मां की प्रतिमूर्ति भी लाए थे और उसे यहां स्थापित किया। धीरे-धीरे यह स्थान आस्था का केंद्र बन गया। इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि वर्ष 1907 में जब अंग्रेजों ने यहां कोयला खदान प्रारंभ की तो एक अफसर ने मां हिंगलाज की प्रतिमा को हटाकर उस स्थान पर सीआरओ कैंप बनवाने का आदेश दिया। लोगों के विरोध के बावजूद वह निर्णय पर अड़ा रहा। जैसे ही वह अफसर खदान में उतरा खदान धंसने से उसकी मौत हो गई। इसके बाद अंग्रेज अफसरों ने उसी स्थान पर छोटा सा मंदिर बनवा दिया।

Hinglaj Mandir:  बाद में वर्ष 1984 में मोहन कॉलरी के प्रबंधन एवं मजदूरों ने मिलकर मंदिर के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया और 1986 में एक भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ। तब से यह स्थान श्रद्धा और भक्ति का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। नवरात्रि में यहां दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी होने पर अखंड ज्योत जलाते हैं। यहां यह भी मान्यता है कि ज्योति कलश जलाने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। वर्षों से यहां यह परंपरा चली आ रही है, जो आज भी पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ निभाई जा रही है।

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"छिंदवाड़ा हिंगलाज मंदिर" का इतिहास क्या है?

"छिंदवाड़ा हिंगलाज मंदिर" का इतिहास 1907 से जुड़ा है, जब अंग्रेज अफसर ने प्रतिमा हटाई थी और खदान धंसने से उसकी मौत हो गई। तभी से यह स्थान आस्था का केंद्र बन गया।

"हिंगलाज शक्तिपीठ" का संबंध पाकिस्तान से कैसे है?

हिंगलाज शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है, जिसे सती के मस्तिष्क से उत्पन्न शक्तिपीठ माना जाता है। छिंदवाड़ा का मंदिर उसी का प्रतिनिधित्व करता है।

"नवरात्रि में हिंगलाज मंदिर" में क्या विशेष होता है?

नवरात्रि में यहां 3201 मनोकामना कलश स्थापित किए जाते हैं, और भक्त अखंड ज्योत जलाते हैं ताकि उनकी मुराद पूरी हो।

क्या "हिंगलाज मंदिर छिंदवाड़ा" दर्शन के लिए आम जनता के लिए खुला है?

हाँ, यह मंदिर पूरे वर्ष दर्शन के लिए खुला रहता है, विशेषकर नवरात्रि के दौरान यहां भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

"मां हिंगलाज मंदिर" की स्थापना कब और कैसे हुई?

स्थानीय मान्यता के अनुसार, पाकिस्तान से आए व्यापारियों ने यहां मां की प्रतिमा स्थापित की थी। 1986 में मजदूरों और प्रबंधन ने भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।