Reported By: Nasir Gouri
,Madhya Pradesh Politics News || Image- IBC24 News File
Madhya Pradesh Politics News: ग्वालियर: तमाम कोशिशों और मेहनत के बाद कांग्रेस ने 2018 में कमलनाथ की अगुवाई में मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी। लेकिन कुछ दिनों बाद यह गिर गई। सरकार गिराने में तब के 22 विधायकों की बड़ी भूमिका थी। ऐसे में अब हर कोई जानना चाहता है कि पाला बदलने वाले उन पूर्व विधायकों का क्या हुआ और वे आज किस पद पर हैं?
दरअसल, मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिराने वाले विधायक अब हाशिए पर जा चुके हैं। न तो अब उनकी विधायकी बची है और न सरकार और संगठन के पास से इनके पास कोई पद है। ग्वालियर-चंबल में इनकी संख्या एक-दो नहीं, बल्कि एक दर्जन से ज्यादा है। कुल मिलाकर कहा जाए, तो ये लोग राजनीति में गर्दिश के दौर से गुजर रहे हैं। बीजेपी कहती है कि संगठन योग्यता के आधार पर सब करता है, वहीं कांग्रेस का कहना है कि गद्दार किसी का सगा नहीं होता।
दरअसल, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कहने पर कमलनाथ सरकार गिराने वाले 22 विधायकों में से कई के राजनीतिक सितारे गर्दिश में हैं। बीजेपी ने उस वक्त उन्हें टिकट देकर, तो कहीं मंडल और प्राधिकरणों में जगह देकर उस समय तो पुनर्वास कर दिया। लेकिन अब ये लोग ग्वालियर-चंबल की राजनीति में खो गए हैं। हालांकि 30 फीसदी विधायकों ने चुनाव जीतकर वापसी की, लेकिन 70 फीसदी पूर्व विधायकों की राजनीति पर संकट आ गया है।
Madhya Pradesh Politics News: बहरहाल, इस पूरे विषय पर बीजेपी के पूर्व सांसद विवेक शेजवलकर का कहना है, “बीजेपी के काम करने का तरीका अलग है। यहां मूल्यांकन काम के आधार पर होता है। फिर जिम्मेदारी दी जाती है। संगठन ने देखा होगा, तभी कोई पद नहीं मिला है। लेकिन उन्हें निराश नहीं होना चाहिए।”
वहीं कांग्रेस के विधायक सतीश सिकरवार कहते हैं, “गुमनामी में इसलिए हैं क्योंकि दगा किसी का सगा नहीं होता। किया नहीं तो कर देखो। जिस-जिस ने भी दगा किया है, जाकर उसका घर देखो। दगा किसी का सगा नहीं होता। क्योंकि इन्होंने कमलनाथ के साथ दगा किया और अब बीजेपी ने इनके साथ किया है।”
बहरहाल, ग्वालियर-चंबल में ये जो राजनीति के चेहरे हैं, वे फिलहाल गुमनाम हो रहे हैं। न तो फील्ड में इनकी सक्रियता दिखाई दे रही है, न ही संगठन में हैं। हालांकि ये लोग फिर से उम्मीद लगाए बैठे हैं। आने वाले वक्त में मंडल, प्राधिकरणों में नियुक्तियां होनी हैं- शायद, वे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कोटे से कहीं एडजस्ट हो पाएं।
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