जबलपुर: MP News मध्यप्रदेश के जबलपुर के शासकीय महाराजपुर स्कूल की एक शिक्षिका ज्योति पाण्डेय ने ई अटैंडेंस ना लगाने पर जारी शो कॉज़ नोटिस का जवाब दिया है। उच्च अधिकारी को लिखे पत्र में उन्होने ई अटैंडेंस ना लगाने के एक नहीं कई कारण गिना दिए हैं। अव्वल तो जवाब में ये कह दिया गया है कि शिक्षिका को सरकारी नहीं अपने निजी मोबाईल फोन से ई अटैंडेंस लगानी पड़ती है, जिससे उनके निजी फोटो वीडियो और डेटा लीक होने की आशंका है और ये उनके निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। शिक्षिका ने शो कॉज़ नोटिस के जवाब में अपने साथ सायबर क्राईम या फ्रॉड ना होने की सरकारी गारंटी मांगी है और तब तक ई अटेंडेंस ना लगाने की बात की है। शिक्षिका के इस कदम के समर्थन में शिक्षक संघ उतर आए हैं तो शिक्षा विभाग के अधिकारी सफाई देते नजर आए।
इधर, प्रदेश के 27 शिक्षकों ने ई अटैंडेंस को हाईकोर्ट में भी चुनौती दे दी है। याचिकाओं में कहा गया है कि ‘हमारे शिक्षक एप’ में एक नहीं कई तकनीकी खामियां हैं, जिसके चलते कई समस्याएं सामने आ रही हैं। हाई कोर्ट ने इन याचिकाओं पर याचिकाकर्ता शिक्षकों और राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग से भी हलफनामे पर जवाब मांगा है। दूसरी तरफ ई अटैंडेंस पर हो रहे बवाल पर सियासत भी गर्मा गई है। भाजपा जहां ई अटैंडेंस को स्कूलों में अनुशासन और शिक्षा की गु्णवत्ता के लिए ज़रुरी बता रही है तो वहीं कांग्रेस, ई अटैंडेंस का विरोध कर रहे शिक्षकों के साथ खड़ी हो गई है।
कुल मिलाकर जहां ई-अटेंडेंस के खिलाफ शिक्षक लामबंद हैं और इसकी खिलाफत में उनके अपने तर्क हैं। सरकार और विपक्ष के अपने-अपने राग हैं। इन सबके इतर सबसे बड़ा सवाल ये है कि- क्या शिक्षकों को पारदर्शी व्यवस्था पसंद नहीं है? क्या ई-अटेंडेस APP का पाकिस्तान से कनेक्शन है? क्या वाकई इससे टीचर्स की निजता को खतरा पहुंच रहा है? और सवाल ये भी कि क्या केवल विरोध के लिए ही विरोध किया जा रहा है याकि सचमुच में तकनीकी खामियां हैं?