उपचुनाव की तैयारी…कौन किस पर भारी?

उपचुनाव की तैयारी...कौन किस पर भारी?Preparing for the by-election...Who is heavy on whom?

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  • Publish Date - September 4, 2021 / 11:34 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:30 PM IST

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भोपाल: मध्यप्रदेश में भले उपचुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ हो, लेकिन बीजेपी- कांग्रेस ने चुनावी तैयारियों पर मंथन शुरू कर दी है। आज भोपाल में दोनों ही दलों ने बैठक कर जीत की रणनीति पर चर्चा की और अपने-अपने कार्यकर्ताओँ को रिचार्ज करने की कोशिश की।

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ये मध्यप्रदेश की दोनों बड़ी पार्टियों के प्रदेश कार्यालय के बीच भले ही एक किलोमीटर से कम की दूरी हो लेकिन हलचल एक जैसी। कार्यालयों में हो रही हलचल साफ बताती है कि भले ही उपचुनावों की तारीखों का ऐलान न हुआ हो लेकिन सियासी बिसात बिछना शुरु हो गई है। बीजेपी प्रदेश संगठन में हुई नियुक्तियों के बाद सभी 7 मोर्चों और प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों की बैठक में उपचुनाव की रणनीति पर चर्चा हुई। बीजेपी इन चुनावों में राज्य सरकार के किए कामों को जनता के सामने रखेगी। मोर्चों और प्रकोष्ठ को पंचायत स्तर तक अपनी टीम को झोंक देने के निर्देश दिए गए हैं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने उपचुनावों में पूरी ताकत से कार्यकर्ताओं को मैदान में उतरने के निर्देश भी दिए। यह भी तय है कि इस बार उम्मीदवारों से ज्यादा मुख्यमंत्री का चेहरा ही जीतने की वजह बन सकता है। इस बीच पार्टी इलाके के जातिगत समीकरणों पर भी टटोल रही है ताकि दमोह की गलती न दोहराई जा सके।

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दूसरी तरफ दमोह उपचुनाव जीतने के उत्साह में आई कांग्रेस भी पूरे दमखम से मैदान में उतरने की कोशिश कर रही है। उपचुनावों को कांग्रेस दमोह फॉर्मेट पर लड़ने की तैयारी कर रही है। इन सीटों पर बूथ, मंडलम,सेक्टर, ब्लॉक कमेटियों को रणनीति तय करने की जिम्मेदारी भी दी जाएगी। हर बूथ पर पार्टी के दूसरे मोर्चो के पदाधिकारियों की तैनाती की जाएगी। कांग्रेस के सोशल मीडिया वॉरियर्स को पार्टी का संदेश घर घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई हैं। महंगाई,पेट्रोल-डीजल-गैस की बढ़ती कीमतों और बिजली कटौती को भी कांग्रेस भुनाने की तैयारी में है। ये उपचुनाव भले ही विधानसभा के गणित पर ज्यादा असर न डाले लेकिन 2023 में होने वाले चुनावों से पहले कार्यकर्ताओं में जोश तो ला ही सकते हैं और इसी बात को ध्यान में रखकर कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।

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इस बीच चुनाव आयोग ने उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा तो कर दी है लेकिन दूसरे राज्यों में ऐसा नहीं किया गया है और इसकी वजह है राज्य निर्वाचन आयोग की वो रिपोर्ट जिसमें कहा गया है कि कोरोना,त्योहारी सीज़न और बाढ़ के हालात के कारण चुनावों को थोड़े दिन टाल दिया जाना चाहिए।

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