भोपालः Face To Face MadhyaPradesh मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह के बयान पर शुरू हुआ तूफान लगातार जारी है। हाईकोर्ट के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने भी विजय शाह को फटकार लगाई। शाह के मंत्री पद पर बने रहने के चलते वो विपक्ष के निशाने पर है। सवाल ये है कि बीजेपी आखिर इस बवाल के कैसे छुटकार पाएगी और क्या कोई बीच का रास्ता अभी भी शाह के पास बचा है।
Face To Face MadhyaPradesh सवाल बड़ा सीधा सा है जिसका जवाब पूरा हिन्दुस्तान जानना चाहता है कि कोई गटरछाप बयान देकर देश की एकता और अखंडता को खंडित करके सेना का अपमान करके अपनी कुर्सी पर कैसे कायम रह सकता है? इसका जवाब है कि रह सकता है अगर उसका नाम विजय शाह है तो क्योंकि उनकी गिनती मध्यप्रदेश के कद्दावर मंत्रियों में होती है, जिस पर पुलिस भी मेहरबान है। पुलिस कानून से उपर मान बैठी है या पुलिस की मंशा है कि मंत्री जी को कैसे बचाया जाए। तभी तो FIR लिखने में पुलिस ने केवल फारमेल्टी निभाई है। पुलिस ने ऐसी गलतियां की है जिससे भविष्य में FIR रद्द हो जाए। जिसके बाद आज फिर हाईकोर्ट को तल्ख टिप्पणी करनी पड़ी। कमजोर FIR करना राज्य की ओर से छल-कपट है।
मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी कहती है कि मेरे सगे भाई जैसे प्रिय मंत्री को या तो हम बर्खास्त करें या वो स्वयं इस्तीफा दे दें क्योंकि उनका असभ्य कथन हम सबको शर्मिंदा कर रहा है। उनकी बर्खास्तगी में असमंजस आश्चर्य का विषय है। यानी साफ है विपक्ष के साथ-साथ अब पक्ष के लोग भी विजय शाह के खिलाफ खड़े हो गए है, क्योंकि ये मामला देश की अस्मिता से जुड़ा है और देश पार्टी से ऊपर होता है, लेकिन ऐसे में सवाल है कि विजय शाह के पीछे कौन खड़ा है। उन पर कार्रवाई के नाम पर चार दिनों से सिर्फ बातें क्यों की जा रही है। और क्यों इसे मुद्दा बनने दिया जा रहा है?
जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अपत्तिजनक माना जिसे हाईकोर्ट ने अपत्तिजनक माना, जिसे भारतीय जनता पार्टी ने भी अपत्तिजनक माना, जिसे कर्नल सोफिया कुरेशी के घरवाले अपत्तिजनक मान रहे हैं, जिसे पूरा हिन्दुस्तान अपत्तिजनक मान रहा है। लेकिन उसे कुछ लोग हैं जो अपत्तिजनक नहीं मानते तभी तो विजय शाह अपनी कुर्सी पर कायम हैं।