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भोपाल: MP News बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र शास्त्री का यह कहना है कि जितने भी धार्मिक स्थल हैं यानी मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, पूजा, इबादत, प्रेयर इन सब के बाद खड़े होकर राष्ट्रगान करना चाहिए। उन्होंने अमल भी शुरू कर दिया। हम अभी आगे आपको दिखाएंगे। उन्होंने अमल भी शुरू कर दिया। पूजा के तुरंत बाद राष्ट्रगान पढ़ा जाए। उनका तर्क यह है कि ऐसे करने से देश के प्रति जो प्रेम है वो और बढ़ेगा, उपजेगा, पनपेगा। सवाल यह है कि देशभक्ति या धर्म यह आस्था किसी भी तरह की व्यक्तिगत निहायत निजी बात है। आप उसका प्रैक्टिकरण या प्रदर्शन इस तरह से समारोह पूर्वक नहीं करते हैं। अमूमन 15 अगस्त या 26 जनवरी छोड़ दें तो, ऐसे में इस तरह का प्रस्ताव यदि आचार्य धीरेंद्र शास्त्री दे रहे हैं तो उनके पीछे उनकी मंशा क्या है?
MP News राष्ट्रप्रेम को मापने का कोई मीटर है क्या ये सवाल भले ही अटपटा लग रहा हो लेकिन रह रह कर इसे दिखाने या साबित करने की मांग ज़ोर पकड़ती जा रही है और देशभक्ति साबित करने की ये नई मांग उठाई है। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने छतरपुर के एक धार्मिक आयोजन में बाबा सहित सभी श्रृद्धालुओं को राष्ट्रगान गाते देखकर ये कयास मत लगाइएगा कि कोई देशभक्ति का आयोजन चल रहा है। ये विशुद्ध धार्मिक आयोजन है। वैसे बाबा आए थे कथा करने कथा हुई और इसके बाद सावधान की मुद्रा में मौजूद लोगों ने राष्ट्रगान गाया, लेकिन बात इतनी ही नहीं है। पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने ने एक नई मांग करते हुए कहा कि सभी धर्मों के आस्था केन्द्रों में पूजा के बाद राष्ट्रगान गाना चाहिए। ताकि उनके अंदर देश के लिए प्यार उमड़े। ज़ाहिर है कि बाबा बोलें और भाजपा उसमें कुछ तड़के के साथ समर्थन में न आए, भला ये कैसे संभव है..तत्काल बीजेपी के फायर ब्रांड नेता रामेश्वर शर्मा ने मोर्चा संभाला और कहा कि यदि कहते हो कि देश की आजादी में सभी के पुरखों का योगदान है, तो मंदिर,मस्जिद,चर्च सभी जगह राष्ट्रगान गाना शुरु कीजिए।
बीजेपी जहां बाबा के बयान के सुर में सुर मिलाती नजर आई तो कांग्रेस नेताओं ने बेहद संतुलित अंदाज में राष्ट्रगान गाने को निजी मामला बताया, लेकिन इशारों-इशारों में पंडित धीरेंद्र शास्त्री को भी आड़े हाथों लेने से पीछे नहीं रही।
कुलमिलाकर पंडित धीरेंद्र शास्त्री की मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारों में राष्ट्रगान गाने की नई कवायद ने देशभक्ति के पैरामीटर की नई बहस छेड़ दी है, लेकिन मामला सिर्फ इतना ही नहीं है। बाबा सिर्फ सनातन के पक्ष में बात नहीं करते बल्कि हर वो बात करते हैं जो संघ और बीजेपी के फेवरेट टॉपिक होते हैं। अब बाबा की इस नई मुहिम से समाज में देशप्रेम हिलोरें मारने लगेगा या बवाल बढ़ेगा ये तो अभी भविष्य के गर्भ में ही है..लेकिन बड़ा सवाल ये है कि-क्या बाबा के कवायदों से देशभक्ति के पैमाने तय होंगे? और क्या बाबा अब हिंदू राष्ट्र के बहाने पॉलिटिकल संदेश दे रहे हैं?