शह मात The Big Debate: बिहार में परीक्षा..मध्यप्रदेश में परीक्षण! क्या मध्यप्रदेश में एक्शन का बिहार में रिएक्शन दिखेगा? देखिए पूरी रिपोर्ट

MP Politics: बिहार में परीक्षा..मध्यप्रदेश में परीक्षण! क्या मध्यप्रदेश में एक्शन का बिहार में रिएक्शन दिखेगा? देखिए पूरी रिपोर्ट

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  • Publish Date - July 15, 2025 / 12:02 AM IST,
    Updated On - July 15, 2025 / 02:03 AM IST

MP Politics | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • बीजेपी पर कांग्रेस का आरोप
  • बिहार फाउंडेशन के जरिए वोटबैंक साधने की कोशिश

भोपाल: मध्यप्रदेश क्या बीजेपी की पॉलिटिक्स की प्रयोगभूमि बनती जा रही है। बिहार चुनाव में जितने भी अस्त्र-शस्त्र आजमाए जाएंगे। क्या उसकी धार मध्यप्रदेश में टेस्ट की जाएगी। क्या बीजेपी की चुनावी डीआरडीओ एमपी में है। एक सीरीज देख सकते हैं राजनीतिक परीक्षणों का..बिहार दिवस मनाना, निषाद सम्मेलन, और अब बिहार फाउंडेशन एक के बाद एक घटनाक्रम महज संयोग तो नहीं, तो क्या बैटल ऑफ बिहार की चुनावी धार को एमपी में जांचा-परखा जा रहा है। क्या मध्यप्रदेश के लिए बिहार केंद्रित सियासी गतिविधियां का कोई अर्थ है? सवाल ये भी कि बिहार पर मप्र में हो रहे सियासी प्रयोगों का कोई इफेक्ट दिख सकता है?

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बिहार में चुनाव नज़दीक है। तैयारियां शुरु हो चुकी हैं। बिहार चुनाव की तैयारियों की झलक मध्यप्रदेश में भी नज़र आ रही है। क्योंकि पिछले कुछ महीनो से एमपी में जो हो रहा है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मध्यप्रदेश का भी बिहार से चुनावी कनेक्शन है। दरअसल 22 मार्च को मध्यप्रदेश में बिहार स्थापना दिवस मनाया गया,बीजेपी के दिग्गज नेता रविशंकर प्रसाद खुद मुख्यमंत्री के साथ बिहार स्थापना दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम में शामिल हुए। फिर दूसरा मौका हाल में ही आया। जब उज्जैन में पहली दफा निषादराज सम्मेलन आयोजित किया गया और अब एमपी में बिहार फाउंडेशन का शुरुआत होना इशारा कर रहा है कि बिहार चुनाव की सियासी खिचड़ी एमपी में भी पक रही है। बिहार फाउंडेशन के भोपाल चैप्टर के गठन का मक्सद भले सियासी ना हो लेकिन असर सियासी जरुर होगा। क्योंकि बिहार फाउंडेशन बिहार की बीजेपी-जेडीयू गठबंधन का उपक्रम है और ये फाउंडेशन एमपी में बिहार के तकरीबन 35-40 लाख की आबादी को जोड़ने के लिए बनाया गया है। कहा ये जा रहा है कि फाउंडेशन बिहार के लोगों को एकजुट रखने,उनकी खुशहाली के मक्सद से बनाया गया है।

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बिहार फाउंडेशन पर अब एमपी में सियासत गरमा गयी है। बिहार फाउंडेशन के गठन पर कांग्रेस को ऐतराज़ है। कांग्रेस कह रही है कि बीजेपी-जेडीयू जनता के पैसों की लूट कर रही है और बिहार फाउंडेशन का मक्सद सिर्फ और सिर्फ वोटों की जुगाड़ करना ही है। उधर बीजेपी ने भी कांग्रेस के बयान पर जवाब दिया है। बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस हर चीज़ को सियासी चश्मे से देखती है।

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अगर कांग्रेस का दावा सही है तो ये मान लेना चाहिए कि बीजेपी ने चुनावों के ठीक पहले बड़ा दांव खेला है। क्योंकि बिहार के मूल निवासी दुनियाभर में फैले हुए हैं और ये आंकड़ा करोड़ों तक भी जा सकता है। शायद इसलिए बीजेपी ने पहले बिहार स्थापना दिवस एमपी के अलावा दूसरे राज्यों में मनाया और अब बिहार फाउंडेशन के जरिए बीजेपी-जेडीयू सरकार ना सिर्फ देश में बल्कि बहराइन,अरब,अमेरिका,इंग्लैड और अफ्रीकी देशों तक अपना नेटवर्क बढा रही है।

मध्यप्रदेश में बिहार फाउंडेशन की स्थापना क्यों की गई है?

मध्यप्रदेश में बिहार फाउंडेशन का उद्देश्य बिहार मूल के लोगों को एक मंच पर लाना, उनके कल्याण के लिए काम करना और उन्हें सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से जोड़ना बताया गया है। हालांकि इसका राजनीतिक प्रभाव भी देखा जा रहा है।

क्या मध्यप्रदेश में बिहार फाउंडेशन का गठन राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है?

विपक्ष का आरोप है कि मध्यप्रदेश में बिहार फाउंडेशन का गठन आगामी बिहार चुनाव को ध्यान में रखते हुए वोट बैंक तैयार करने की रणनीति का हिस्सा है। बीजेपी इसे एक सामाजिक पहल बता रही है।

क्या बिहार फाउंडेशन केवल मध्यप्रदेश में ही शुरू किया गया है?

नहीं, मध्यप्रदेश में बिहार फाउंडेशन की शुरुआत एक भाग है व्यापक नेटवर्क का, जिसे देश के अन्य राज्यों और विदेशों तक फैलाया जा रहा है ताकि प्रवासी बिहारियों को जोड़ा जा सके।