Bombay High Court: ‘I Love You कहना यौन उत्पीड़न नहीं’, 17 साल की लड़की से छेड़छाड़ मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Bombay High Court: 'I Love You कहना यौन उत्पीड़न नहीं', 17 साल की लड़की से छेड़छाड़ मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

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  • Publish Date - July 2, 2025 / 04:47 PM IST,
    Updated On - July 2, 2025 / 04:48 PM IST

Bombay High Court | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने आरोपी को बरी किया
  • कोर्ट ने कहा – सिर्फ ‘आई लव यू’ कहना यौन इच्छा दर्शाना नहीं
  • यौन उत्पीड़न साबित करने के लिए ठोस सबूत जरूरी

मुंबई: Bombay High Court बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने 2015 में एक किशोरी से छेड़छाड़ के आरोपी 35 वर्षीय व्यक्ति को बरी करते हुए कहा कि ‘आई लव यू’ कहना केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति है, न कि ‘यौन इच्छा’ प्रकट करना। न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फाल्के की पीठ ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कहा कि किसी भी यौन कृत्य में अनुचित स्पर्श, जबरन कपड़े उतारना, अभद्र इशारे या महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से की गई टिप्पणी शामिल है।

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Bombay High Court शिकायत के अनुसार, आरोपी नागपुर में 17 वर्षीय लड़की के पास गया, उसका हाथ पकड़ा और ‘’आई लव यू” कहा। नागपुर की एक सत्र अदालत ने 2017 में आरोपी को भारतीय दंड संहिता और बाल यौन अपराध संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया था और तीन साल के कारावास की सजा सुनाई थी। उच्च न्यायालय ने व्यक्ति की दोषसिद्धि को रद्द करते हुए कहा कि ऐसी कोई परिस्थिति नहीं पाई गई जिससे यह संकेत मिले कि उसका वास्तविक इरादा पीड़िता के साथ यौन संपर्क स्थापित करना था।

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उच्च न्यायालय ने कहा,‘‘ ‘आई लव यू’ जैसे शब्द अपने आप में यौन इच्छा (प्रकटीकरण) के बराबर नहीं होंगे, जैसा कि विधायिका द्वारा परिकल्पित है।’’ उच्च न्यायालय ने कहा कि ‘आई लव यू’ कहने के पीछे यदि यौन उद्देश्‍य था, तो उसे साबित करने के लिए कुछ ठोस और अतिरिक्त संकेत होने चाहिए, केवल इतना कहना पर्याप्त नहीं है।

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अभियोजन पक्ष के मुताबिक जब लड़की स्कूल से घर लौट रही थी, तो उस व्यक्ति ने उसका हाथ पकड़ लिया, उसका नाम पूछा और ‘‘आई लव यू’’ कहा। लड़की वहां से भाग निकलने में सफल रही और घर जाकर अपने पिता को घटना के इसके बारे में बताया, जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। उच्च न्यायालय ने कहा कि यह मामला छेड़छाड़ या यौन उत्पीड़न के दायरे में नहीं आता। अदालती आदेश में कहा गया है, ‘‘अगर कोई व्यक्ति यह कहता है कि वह किसी से प्रेम करता है या अपनी भावनाएं व्यक्त करता है, तो केवल इतना भर कह देने से इसे किसी प्रकार के यौन इरादे के रूप में नहीं देखा जा सकता।’’

बंबई हाईकोर्ट ने ‘आई लव यू कहना’ मामले में क्या फैसला सुनाया?

‘आई लव यू कहना’ मामले में बंबई हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ ‘आई लव यू’ बोलना यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता, इसलिए आरोपी को बरी कर दिया गया।

‘आई लव यू कहना’ क्या यौन उत्पीड़न के तहत आता है?

कोर्ट ने माना कि केवल ‘आई लव यू कहना’ अपने आप में यौन इच्छा या उत्पीड़न का प्रमाण नहीं है, जब तक कोई ठोस सबूत न हो।

‘आई लव यू कहना’ मामले में आरोपी को कितनी सजा मिली थी?

सत्र अदालत ने ‘आई लव यू कहना’ मामले में आरोपी को पहले तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया।