मुंबई, 27 अक्टूबर (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) निर्धारित करने के लिए गठित समिति का कार्यकाल बढ़ाकर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए शुक्रवार को 24 दिसंबर तक का समय दिया है।
यह घटनाक्रम मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर बुधवार को जालना जिले में कार्यकर्ता मनोज जरांगे द्वारा शुरू की गई अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के मद्देनजर आया है।
कुनबी (कृषि से जुड़ा समुदाय) को महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।
जरांगे के नेतृत्व में मराठा समुदाय मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने की मांग कर रहा है, जिससे उन्हें आरक्षण के लिए ओबीसी श्रेणी में शामिल किया जा सके।
एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में कहा गया है कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे की अध्यक्षता वाली समिति मराठवाड़ा में मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी प्रमाण पत्र देने के लिए आवश्यक निजाम-युग के दस्तावेजों, वंशावली, शैक्षिक एवं राजस्व प्रमाणों, निजाम-युग के दौरान हस्ताक्षरित समझौतों और अन्य संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रही है।
राज्य सरकार ने निजाम-युग के दस्तावेजों में कुनबी कहे जाने वाले मराठा समुदाय के सदस्यों को जाति प्रमाण पत्र देने के लिए कानूनी और प्रशासनिक ढांचे समेत एसओपी निर्धारित करने के लिए यह समिति गठित की थी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व), प्रमुख सचिव (कानून एवं न्याय) और संबंधित जिलों के जिलाधिकारी समिति के सदस्य हैं। छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) के संभागीय आयुक्त समिति के सदस्य सचिव हैं।
जीआर में इन दस्तावेजों की जांच में देरी का हवाला दिया गया है, क्योंकि उनमें से कई उर्दू, फारसी और मोदी लिपि में हैं, जिसका उपयोग पहले मराठी में आधिकारिक संचार के लिए किया जाता था, और इन भाषाओं व लिपि को जानने वाले कुशल अनुवादक उपलब्ध नहीं हैं।
निजाम शासन हैदराबाद से चलते था और वहीं से मराठवाड़ा को नियंत्रित किया जाता था, ऐसे में मराठवाड़ा से संबंधित के कई दस्तावेज हैदराबाद में हैं।
जीआर में यह भी कहा गया है कि तेलंगाना में आगामी विधानसभा चुनावों के कारण राज्य के अधिकारी चुनाव ड्यूटी में व्यस्त हैं, जिसके परिणामस्वरूप दस्तावेजों की जांच में देरी हो रही है।
इसमें कहा गया है कि समिति को तेलंगाना में दस्तावेजों की भी जांच करने की आवश्यकता होगी, इन सभी कारणों के चलते समिति को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 24 दिसंबर तक का विस्तार दिया गया है।
भाषा जोहेब दिलीप
दिलीप