महिला ने संबंध बनाने से किया इनकार, पति पर विवाहेत्तर संबंध रखने का संदेह, हाईकोर्ट ने तलाक को मंजूरी दी

wife Refusal to have sex with husband: पति से संबंध बनाने से इनकार, विवाहेत्तर संबंध रखने का संदेह करना तलाक का आधार: उच्च न्यायालय

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  • Publish Date - July 18, 2025 / 03:30 PM IST,
    Updated On - July 18, 2025 / 03:40 PM IST

wife Refusal to have sex with husband, image source: file image

HIGHLIGHTS
  • विवाहेत्तर संबंध रखने का संदेह करना क्रूरता
  • व्यक्ति ने कई आधार पर क्रूरता का आरोप लगाया

मुंबई:  wife Refusal to have sex with husband, मुंबई उच्च न्यायालय ने एक परिवार अदालत के तलाक संबंधी आदेश को चुनौती देने वाली महिला को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना और उस पर विवाहेत्तर संबंध रखने का संदेह करना क्रूरता है, इसलिए यह तलाक का आधार है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और नीला गोखले की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को कहा कि महिला के आचरण को उसके पति के प्रति ‘‘क्रूरता’’ माना जा सकता है। अदालत ने महिला की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने परिवार अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।

उक्त आदेश में, पति की तलाक याचिका को मंजूरी दी गई थी। महिला ने याचिका में अपने पति से एक लाख रुपये मासिक गुजारा भत्ता दिलाने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया था। इस जोड़े की शादी 2013 में हुई थी, लेकिन दिसंबर 2014 में वे अलग रहने लगे। वर्ष 2015 में, पति ने क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए पुणे की परिवार अदालत का रुख किया, जिसे मंजूरी मिल गई। महिला ने अपनी याचिका में कहा कि उसके ससुराल वालों ने उसे परेशान किया था, लेकिन वह अब भी अपने पति से प्यार करती है और इसलिए वह विवाह संबंध खत्म नहीं करना चाहती।

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व्यक्ति ने कई आधार पर क्रूरता का आरोप लगाया

हालांकि, व्यक्ति ने कई आधार पर क्रूरता का आरोप लगाया, जिसमें (महिला के) शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना, उस पर (पति पर) विवाहेत्तर संबंध रखने का संदेह करना और उसके (व्यक्ति के) परिवार, दोस्तों और कर्मचारियों के सामने उसे शर्मिंदा कर मानसिक पीड़ा पहुंचाना शामिल है। व्यक्ति ने दावा किया कि उसकी पत्नी ने उसे उस वक्त ही छोड़ दिया था, जब वह उसका घर छोड़कर अपने मायके चली गई।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘अपीलकर्ता (महिला) का व्यक्ति के कर्मचारियों के साथ व्यवहार निश्चित रूप से उसे पीड़ा पहुंचाएगा। इसी तरह, व्यक्ति को उसके दोस्तों के सामने अपमानित करना भी उसके प्रति क्रूरता है।’’ अदालत ने कहा कि महिला का उस व्यक्ति की दिव्यांग बहन के साथ उदासीन व्यवहार भी निश्चित रूप से उसे और उसके परिवार के सदस्यों को पीड़ा पहुंचाएगा। अदालत ने महिला की याचिका खारिज करते हुए कहा कि दंपति के बीच विवाह संबंध टूट चुका है और इसमें सुधार होने की कोई संभावना नहीं है।

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