पुणे, छह अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) सांसद सुप्रिया सुले ने सोमवार को दावा किया कि महाराष्ट्र में विभिन्न योजनाओं को बंद किए जाने की खबरें राज्य की कमजोर वित्तीय स्थिति का संकेतक हैं।
सुले ने पुणे में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि वह पिछले डेढ़ साल से राज्य की ‘खराब’ वित्तीय स्थिति को रेखांकित कर रही हैं।
सुले से उन खबरों को लेकर सवाल किया गया था जिनमें कहा गया है कि राज्य सरकार की ‘आनंदचा सिद्धा’ (दिवाली के दौरान मुफ्त राशन) पहल बंद कर दी गई है।
सुले ने कहा, ‘मुझे बिल्कुल आश्चर्य नहीं है। पिछले डेढ़ साल से मैं कह रही हूं कि राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है, क्योंकि एक के बाद एक योजनाएं बंद की जा रही हैं। पिछले साल, लाडकी बहिन योजना धूमधाम से शुरू की गई थी, लेकिन आज, अगर आप देखें, तो पहले चरण में 25 लाख लाभार्थियों के नाम हटा दिए गए हैं।’
उन्होंने कहा, ”आनंदचा सिद्धा’ पहल बंद कर दी गई है। मैंने राज्य के मंत्री छगन भुजबल का एक बयान पढ़ा है कि उन्हें वित्त विभाग से इस योजना के लिए मंज़ूरी नहीं मिली है।’
राकांपा (शरद पवार) की कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि इस बात की पुष्टि होनी चाहिए कि आर्थिक तंगी की वजह से मुफ़्त राशन योजना बंद की गई है या इसकी कोई और वजह है।
उन्होंने कहा, ‘अगर इतनी महत्वपूर्ण पहल बंद की जा रही है, अगर लाडकी बहिन योजना से हर दिन महिलाओं के नाम हटाए जा रहे हैं, अगर छात्रों को छात्रवृत्ति राशि नहीं मिल रही है, तो यह दर्शाता है कि राज्य की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है।’
सुले ने आगे कहा कि कल जहां पूरी तरह से कृषि ऋण माफ़ी की बात हो रही थी, वहीं चिंताजनक बात है कि अभी तक राज्य ने भारी बारिश से हुए नुकसान के बारे में केंद्र को कोई रिपोर्ट नहीं भेजी है।
उन्होंने पूछा, ‘केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कल कहा था कि केंद्र मदद के लिए तैयार है, बशर्ते राज्य कोई रिपोर्ट भेजे। फिर सरकार ने इतने दिनों तक रिपोर्ट क्यों नहीं भेजी?’
सांसद ने कहा कि राज्य की समग्र वित्तीय स्थिति के बारे में वह जो कुछ भी कह रही हैं, वह विभिन्न योजनाओं के रुकने से स्पष्ट हो रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार का राजकोषीय प्रबंधन पूरी तरह से चरमरा गया है। उन्होंने कहा, ‘‘आज विश्व बैंक का एक बयान आया है जिसमें कहा गया है कि भारत सबसे ज़्यादा कर्ज़ लेने वाला देश है। केंद्र का राजकोषीय प्रबंधन भी प्रभावित हो रहा है, क्योंकि अच्छे जीएसटी संग्रह के बावजूद कर वसूली पर्याप्त नहीं है। एक और चिंता यह है कि डॉलर की तुलना में रुपया हर दिन कमज़ोर क्यों हो रहा है।’
सुले ने बताया कि योजनाएं अटकी हैं, लेकिन 80,000 करोड़ रुपये की लागत से शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के निर्माण पर अब भी ज़ोर दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘इससे पता चलता है कि राज्य सरकार के पास राजमार्ग बनाने के लिए 80,000 करोड़ रुपये हैं, लेकिन गरीब लोगों को ‘आनंदचा सिद्धा’ देने के लिए पैसे नहीं हैं।’
भाषा अविनाश नरेश
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