(Shardiya Navratri 2025 Day 1, Image Credit: IBC24 News Customize)
Shardiya Navratri 2025 Day 1: आज सोमवार, 22 सितंबर 2025 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। यह नौ दिवसीय पर्व आदिशक्ति मां दुर्गा की उपासना का प्रतीक है, जिसमें उनके नौ दिव्य स्वरूपों की विशेष पूजा का विधान है। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की भक्ति और पूजन को समर्पित होता है।
नवरात्रि के पहले दिन सुबह स्नान आदि करके शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें। इसके लिए सर्वप्रथम कलश स्थापना करें। एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और उस पर अक्षत डालें। मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें। गंगाजल से अभिषेक करें। मां शैलपुत्री को लाल वस्त्र, लाल फूल, लाल फल और लाल चंदन अर्पित करें। फिर माता की आरती करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। यह पूजन विधि शुभता, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।
मां शैलपुत्री को गाय का घी अर्पित करना बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है। इससे साधक को आरोग्य और निरोगी काया का वरदान प्राप्त होता है। रोग, शोक और मानसिक तनाव भी दूर होते हैं। शरीर में ऊर्जा और दीर्घायु का संचार होता है। इस कारण व्रतधारियों को इस दिन विशेष रूप से शुद्ध घी का दीपक जलाना और अर्पण करना चाहिए।
शास्त्रों के मुताबिक, मां शैलपुत्री पूर्व जन्म में राजा दक्ष की पुत्री सती थीं। उन्होंने भगवान शिव से विवाह किया था। एक बार राजा दक्ष ने एक यज्ञ आयोजित किया, जिसमें भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। शिव का अपमान देखकर सती ने स्वयं को योगाग्नि में भस्म कर दिया। इसके बाद भगवान शिव ने क्रोध में आकर यज्ञ को नष्ट कर दिया और सती के शरीर को लेकर ब्रह्मांड में विचरण करने लगे। तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित किया, जो शक्तिपीठों के रूप में पूजे जाते हैं। बाद में सती ने हिमालय के घर जन्म लिया और शैलपुत्री के रूप में अवतरित हुईं।
मां शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना गया है। इनकी आराधना से मनोबल, आत्मबल और स्थिरता की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि मां शैलपुत्री की उपासना करने से साधक को सांसारिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष भी प्राप्त होता है। जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजन करने के बाद माता के सामने अपनी मनोकामना कहें और इस बीज मंत्र का जप करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है:
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः।’
इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। यह साधक को मानसिक शांति, शक्ति और सिद्धि प्रदान करता है।
शारदीय नवरात्रि व्रत के दौरान इन पांच नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए:
इन नियमों का पालन करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।