चार साल में एक रुपये भी गन्‍ना मूल्‍य न बढ़ाने वाली भाजपा सरकार के ‘चार दिन’ ही बचे : अखिलेश यादव

चार साल में एक रुपये भी गन्‍ना मूल्‍य न बढ़ाने वाली भाजपा सरकार के 'चार दिन' ही बचे : अखिलेश यादव

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  • Publish Date - February 15, 2021 / 02:31 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:58 PM IST

लखनऊ, 15 फरवरी (भाषा) समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को गन्‍ना किसानों के मसले पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राज्‍य सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि ”चार साल में गन्‍ना मूल्‍य में एक रुपये भी न बढ़ाने वाली भाजपा सरकार के ‘चार दिन’ ही बचे हैं।”

सपा मुख्‍यालय से जारी बयान में यादव ने कहा, ”किसान महँगाई और अपनी फसल का उचित दाम न मिलने से दोहरी मार झेल रहा है और भाजपा इस मामले में पूर्णतया संवेदन शून्य है।”

उन्‍होंने कहा, ”किसान को उम्मीद थी कि उसको भाजपा नेताओं के वादों के अनुसार फसल की लागत का डयोढ़ा (डेढ़ गुना) मूल्य मिल जाएगा और उसकी आय दोगुनी भी हो जायेगी। उसने (किसान) भी सपना देखा था कि अब वह भी खुशहाल जिंदगी जिएगा, लेकिन धोखाबाजी की सरकार के मुखिया अधूरे वादों के साथ जनता के बीच असत्य बयानबाजी में व्यस्त हैं।”

यादव ने कहा कि चार साल में गन्ने के दाम में एक रुपया भी न बढ़ाने वाली भाजपा सरकार के ‘चार दिन’ ही बचे है और किसान धोखे का जवाब अपने वोट से देगें। चालू सीजन में भी गन्ने की सामान्य, अगेती व अस्वीकृत प्रजाति का मूल्य क्रमशः 315, 325 और 310 रुपए प्रति क्विंटल ही रहेगा।

यादव ने दावा किया, ”इस समय चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का प्रतिदिन दो करोड़ रुपये का बकाया हो रहा है। 14 दिन के बाद किसान की अवशेष राशि बकाया श्रेणी में आ जाती है। अब तक प्रदेश में गन्ना किसानों का लगभग 10,174 करोड़ रुपये का बकाया हो चुका है।”

गन्‍ना किसानों के भुगतान के मसले को लेकर सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने पहले भी भाजपा सरकार पर आरोप लगाये थे। अभी पिछले दिनों ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में उत्‍तर प्रदेश सरकार के गन्‍ना विकास और चीनी मिल मंत्री सुरेश राणा ने अखिलेश यादव के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा था, ” मैं अखिलेश यादव से केवल इतना कहना चाहूँगा कि सपा के पांच वर्षों के कार्यकाल में 95 हजार 200 करोड़ रुपये का गन्‍ना किसानों का भुगतान हुआ और योगी सरकार चार वर्ष से कम समय में ही एक लाख 20 हजार करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है।”

भाषा आनन्‍द अर्पणा

अर्पणा