बलौदा बाजार जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दुरी पर स्थित सोनबरसा जंगल में भीषण आग लगी हुई है। वहीं आग की सूचना मिलते ही वन अमला व फायर वाचर मौके पर पहुंच कर आग भुझाने की कोशिश में लगे हुए है, आग इतनी भीषण थी की कुछ घंटो में ही करीब 30 से 40 हेक्टेयर जंगल को पूरी तरह चपेट में ले लिया, वहीं सैकड़ों इमारती लकड़ी जलकर खाक हो गयी है। हलांकि इस आगजनी से अभी वन्यप्राणियों को किसी प्रकार के हानि होने की बात सामने नहीं आयी है।
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जिला मुख्यालय से कुछ दुरी पर स्थित सोनबरसा जंगल को वन विभाग द्वारा सुरक्षित जंगल की श्रेणी में रखते हुए इसके चारों ओर तार की फेंसिंग की गई है। यहाँ चीतल, जंगली सुअर, लकड़ बघ्घा, सियार जैसे वन्य जीवों के अलावा पक्षियों व वनस्पतियां बहुतायत है। जंगल के उत्तर-पश्चिम किनारे की ओर से आग की लपटे उठने लगी, चूंकि इन जंगलों में चीतल के विचरण हेतु पर्याप्त मात्रा में घास उपलब्ध है, इन घासों तथा वृक्षों की पत्तियों के तेज धूप व ग्रीष्मकाल की वजह से सूख जाने के चलते आग अत्यधिक तेजी से फैलती गई। धीरे-धीरे आग ने भीषण रूप धारण कर लिया, इधर आग की लपटे उठते देख वन अमला भी सक्रिय हो गया और तत्काल इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को देते हुए टेंकर व दमकल वाहन के माध्यम से आग बुझाने का उपाय प्रारंभ कर दिया गया। विभाग के फायर वाचर व चैकीदारों द्वारा तत्काल सूखी पत्तियों की पट्टी काटकर वन को आग की चपेट में आने से बचाया भी गया। परंतु इस दौरान करीब 30 से 40 हेक्टेयर वन आग से बुरी तरह प्रभावित हो गया।
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गौरतलब है विभाग द्वारा सोनबरसा के चारों तरफ जालीदार तार का घेरा लगाकर इसे बचाने का प्रयास अवश्य किया गया है। परंतु समय-समय पर कुछ असामाजिक तत्व यहां प्रवेश कर जाते हैं, जिनके द्वारा धूम्रपान आदि करने से वन में आग लगने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा पिछले कुछ महीनों से जंगल में केंटिन का निर्माण भी किये जाने से आमजनों की आवाजाही इस जंगल में बढ़ी है। जिसके चलते जंगल की सुरक्षा को मजबूत किया जाना आवश्यक प्रतीत होता है। वैसे भी यह जगल नगरवासियों के लिये किसी धरोहर से कम नहीं है। इस संबंध में यह भी उल्लेखनीय है कि अपै्रल 2016 में सोनबरसा जंगल के समीप करमदा व गैतरा के मध्य उद्यानिकी विभाग द्वारा 25 एकड़ में रोपित किये गये पौधों को भी अज्ञात लोगों के द्वारा आग के हवाले कर दिया गया था। जिसका अब तक पता नहीं चल सका है।
वेब डेस्क, IBC24