कोरोना ने स्कूली बच्चियों को वेश्यावृत्ति के दलदल में धकेला, गिनती भी याद नहीं कि उनके साथ कितने..

कोरोना ने स्कूली बच्चियों को वेश्यावृत्ति के दलदल में धकेला, गिनती भी याद नहीं कि उनके साथ कितने..

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  • Publish Date - October 20, 2020 / 10:32 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:50 PM IST

नैरोबी। कोरोना वायरस महामारी लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद होने के बाद पिछले सात महीने में इन बच्चियों को अब गिनती भी याद नहीं है कि उनके साथ कितने मर्द सोये और उनमें से कितनों ने कंडोम का इस्तेमाल किया था। लेकिन उन्हें यह जरुर याद है कि साथ में सोने के एवज में जब उन्होंने पैसे मांगे, कई बार महज एक डॉलर, तो उन्हें पीटा गया। ये बच्चियां महामारी के कारण परिवार का रोजगार छिन जाने से भाई-बहनों का पेट भरने के लिए इस दलदल में उतरने को मजबूर हुईं।

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केन्या की राजधानी, नैरोबी, की एक बिल्डिंग में अपने छोटे से कमरे के बिस्तर पर बैठी इन बच्चियों के लिए कोरोना वायरस संक्रमण या एनआईवी संक्रमण उतना बड़ा डर नहीं है, भूख सबसे बड़ा खतरा है। वहां बैठी, 16, 17 और 18 साल की बच्चियों में से सबसे छोटी कहती है, ‘‘आजकल अगर आपको पांच डॉलर कमाने को भी मिल जाये तो वह सोना के बराबर है।’’ ये तीनों दोस्त अपने कमरे का 20 डॉलर का किराया आपस में बांट कर देती हैं।

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संयुक्त राष्ट्र में बच्चों के लिए काम करने वाली एजेंसी यूनिसेफ के अनुसार, हाल के वर्षों में बाल श्रम के खिलाफ जितनी भी सफलता मिली है, इस महामारी ने उसपर पानी फेर दिया है। 2000 के बाद पहली बार दुनिया भर में बाल श्रम में वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र ने चेताया है कि लाखों की संख्या में बच्चे असुरक्षित कामों में धकेल दिए जाएंगे और स्कूलों के बंद होने के कारण हालात और बिगड़ेंगे।

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पूर्व सेक्स वर्कर मेरी मुगुरे ने उसके पुराने रास्ते पर चलने वाली लड़कियों को बचाने के लिए ‘नाइट नर्स’ नाम से एक अभियान चलाया है। उनका कहना है कि केन्या में मार्च में स्कूल बंद होने के बाद से नैरोबी और आसपास के इलाकों से करीब 1,000 स्कूल छात्राएं सेक्स वर्कर बन गयी हैं। इनमें से ज्यादातर अपने मां-बाप की घर का खर्च चलाने में मदद कर रही हैं। सबसे बुरी बात है कि इन बच्चियों में 11 साल की लड़की भी है।

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कमरे में बैठी इन तीन बच्चियों के पिता नहीं हैं, इनकी और भाई-बहनों की जिम्मेदारी इनकी मांओं की है। लेकिन लॉकडाउन के कारण मांओं का काम बंद हो गया, ऐसे में तीनों ने सबका पेट भरने की जिम्मेदारी उठा ली है। इनमें से दो की माएं दूसरों के घरों में कपड़े धोती थीं और तीसरी की मां सब्जी बेचती थी। लेकिन महामारी में तीनों का काम बंद हो गया है।

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ये बच्चियां पहले भी काम करती थीं, ये लोग एक लोकप्रिय डांस ग्रुप के साथ जुड़ी थीं और पार्ट टाइम के लिए इन्हें पैसे भी मिलते थे। लेकिन कर्फ्यू के कारण नैरोबी की सड़कें खाली हो गयीं और इनकी आय बंद हो गयी। बच्चियों में से एक ने बताया, ‘‘अब मैं अपनी मां को रोज (1.84 डॉलर) कुछ पैसे भेजती हूं, जिससे वह दूसरों (भाई-बहनों) को खाना खिला पाती है।’’