पाकिस्तान के कराची में जून में लगातार आए भूकंपों के कारण लोगों में घबराहट

पाकिस्तान के कराची में जून में लगातार आए भूकंपों के कारण लोगों में घबराहट

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  • Publish Date - July 4, 2025 / 11:43 AM IST,
    Updated On - July 4, 2025 / 11:43 AM IST

कराची, चार जुलाई (भाषा) पाकिस्तान में सिंध प्रांत स्थित कराची शहर के निवासी जून में आए मध्यम से कम तीव्रता वाले करीब 60 भूकंप के सदमे से अभी तक उबर नहीं पाए हैं और उनमें भूकंपों को लेकर डर एवं चिंता बनी हुई हैं।

कराची के महापौर मुर्तजा वहाब ने कहा कि दो से 22 जून के बीच आए लगातार भूकंपों के कारण लोगों में अब भी घबराहट है और उन्हें इस बात का डर है कि भूकंप उनकी जिंदगी तबाह कर सकता है।

पाकिस्तान मौसम विभाग ने पुष्टि की है कि कम तीव्रता वाले अधिकतर भूकंप में से 33 भूकंप मलीर के नजदीकी इलाकों में आए। इसके अलावा कायदाबाद, लांधी, गदप, डीएचए सिटी एवं डीएचए कराची और कोरंगी में भी भूकंप आए। इन क्षेत्रों में दो जून को कम से कम 10 भूकंप आए और उसके अगले दिन भूकंप के एक दर्जन झटके महसूस किए गए। इसके अलावा 22 जून को आखिरी छह भूकंप आए जिनमें से चार की तीव्रता तीन से अधिक थी।

लांधी में एक कपड़ा फैक्टरी में काम करने वाले जहीर उल हसन ने दो जून को आए 3.6 तीव्रता के भूकंप को याद करते हुए कहा, ‘‘हम ही जानते हैं कि हमें कैसा महसूस हुआ। हम जमीन कंपन महसूस कर सकते थे और हमें कुछ बहुत बुरा होने का डर था लेकिन कुछ सेकंड के बाद झटके कम हो गए। जब आपके पड़ोस में इतने सारे भूकंप आते हैं, चाहे उनकी तीव्रता कम ही क्यों न हों, तो जाहिर है कि आप तनावग्रस्त और चिंतित हो जाते हैं।’’

लांधी में रहने वाले फैजान कादरी ने कहा, ‘‘इस तरह लगातार भूकंप आने से कई निवासियों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है।’’

भूकंपीय गतिविधियां 22 जून के बाद से शांत हो गई है।

मलीर निवासी निगहत खान ने कहा, ‘‘दिन हो या रात, जब भी कभी भूकंप आता था तो हम हर बार अपने परिवारों के साथ अपने घरों से बाहर निकल आते थे।’’

इन भूकंपों में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली, लेकिन इनका असर प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की मनोस्थिति पर साफ नजर आया।

मुख्य मौसम वैज्ञानिक अमीर हैदर लेघारी और समुद्री भूवैज्ञानिक आसिफ इनाम ने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर और वित्तीय केंद्र कराची में बड़े भूकंप की संभावना नहीं है क्योंकि कम तीव्रता वाले झटकों से ‘फॉल्ट लाइन’ (पृथ्वी की सतह में दरारें) पर दबाव को कम करने में मदद मिली है।

भषा सिम्मी मनीषा

मनीषा