पेशावर, 18 अप्रैल (भाषा)पाकिस्तानी मौलवी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने कहा है कि अफगान शरणार्थियों को निष्कासित करने का निर्णय भावनात्मक है। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि पड़ोसी देश से आए शरणार्थियों को देश के विकास कार्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
रहमान ने बृहस्पतिवार को यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम अफगानिस्तान के प्रति अपना गुस्सा यहां के शरणार्थियों पर निकाल रहे हैं, जिससे वे परेशान हैं।’’
जेयूआई-एफ अध्यक्ष ने याद दिलाया कि यह मुद्दा 2017 में सामने आया था और उस समय उन्होंने शरणार्थियों को वर्गीकृत करने का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी ही एक श्रेणी स्नातक शरणार्थियों की है। ये लोग पाकिस्तान के लिए कौशल युक्त संसाधन हैं।’’
रहमान ने कहा कि दूसरी श्रेणी अफगान निवेशकों की है, जो पिछले 35 वर्षों से आर्थिक विकास में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यदि वे अपनी पूंजी पाकिस्तान से बाहर स्थानांतरित करते हैं, तो इसका हमारी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।’’
रहमान ने कहा कि तीसरी श्रेणी छात्रों की है, जिनके स्थानांतरण से उनकी शिक्षा बाधित होगी। उन्होंने कहा कि इसलिए शरणार्थियों को वापस भेजने के लिए एक व्यापक रणनीति अपनाने की आवश्यकता है।
भाषा धीरज नरेश
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