नईदिल्ली। CBSE बोर्ड द्वारा जुलाई में 12वीं की शेष परीक्षा आयोजित करने के फैसले को अभिभावकों ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। और अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि COVID-19 महामारी को देखते हुए छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक दिए जाएं।
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अभिभावकों ने यह आरोप लगाते हुए कि उनके बच्चों सहित अन्य छात्रों को देश भर के 15,000 केंद्रों पर आयोजित की जाने वाली परीक्षा में शामिल होने के लिए अपने घरों से बाहर आने पर महामारी का सामना करना पड़ेगा। अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट दो सप्ताह बाद सुनवाई करेगा।
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दायर याचिका में कहा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय और आईआईटी सहित कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों ने किसी भी परीक्षा का आयोजन नहीं करने का फैसला किया है और सीबीएसई को भी निर्देश दिया गया है कि वह शेष विषयों के लिए परीक्षा का आयोजन न करे। उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ सहित कुछ राज्य बोर्डों ने छात्रों को संक्रमण के संपर्क में आने से बचाने के लिए कोई भी परीक्षा आयोजित ना करने का फैसला किया है।
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याचिका में मांग की गई है कि सीबीएसई बोर्ड को 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा रद्द करनी चाहिए और आंतरिक मूल्यांकन या आंतरिक अंकों के आधार पर उत्तीर्ण होना चाहिए। याचिका में कहा गया कि शेष परीक्षा आयोजित करने के लिए सीबीएसई की अधिसूचना भेदभावपूर्ण और मनमानी है और वह भी जुलाई के महीने में जिसमें एम्स के आंकड़ों के अनुसार, कहा गया है कि COVID -19 महामारी अपने चरम पर होगी।