नई दिल्ली । मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने मंगलवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन करने को तैयार है और इस दशक की शेष अवधि में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से सात प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण के संसद में आर्थिक समीक्षा पेश किये जाने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में नागेश्वरन ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विपरीत चुनौतियों को छोड़ दिया जाए, तो कुल मिलाकर मुद्रास्फीति के दायरे में रहने का अनुमान है। आर्थिक समीक्षा को मुख्य आर्थिक सलाहकार ने तैयार किया है। इसमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक का चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान न तो इतना अधिक है कि निजी खपत को रोके और न ही इतनी कम है कि निवेश के लिये प्रोत्साहन को कमजोर करे।
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समीक्षा के अनुसार, देश की अर्थव्यवस्था अप्रैल से शुरू वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगी। लेकिन इसके बावजूद दुनिया में तीव्र आर्थिक वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। इसका कारण इसने दुनिया के सामने आने वाली असाधारण चुनौतियों से निपटने को लेकर बेहतर प्रदर्शन किया है। नागेश्वरन ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे बनी रहती है, तो अनुमानित वृद्धि दर पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता बेहतर हुई है और सरकार बजट घाटे के आंकड़ों को लेकर अधिक पारदर्शी हुई है। सार्वजनिक खरीद के मामले में भी पारदर्शिता आई है।
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सीईए ने यह भी कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में कर्ज वृद्धि बढ़ रही है और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र को जनवरी, 2022 से ऋण में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में फंसा कर्ज 15 महीने पहले के मुकाबले कम हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में लक्ष्य से कहीं आगे है।
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