सरकार ने दिसंबर तक शहद पर 2,000 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाया |

सरकार ने दिसंबर तक शहद पर 2,000 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाया

सरकार ने दिसंबर तक शहद पर 2,000 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाया

:   Modified Date:  March 14, 2024 / 08:45 PM IST, Published Date : March 14, 2024/8:45 pm IST

नयी दिल्ली, 14 मार्च (भाषा) सरकार ने बृहस्पतिवार को प्राकृतिक शहद पर इस साल दिसंबर तक 2,000 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया।

इस बारे में अधिसूचना तत्काल प्रभाव से लागू होगी।

इस न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) से नीचे शहद निर्यात की अनुमति नहीं दी जाएगी।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा, ‘‘प्राकृतिक शहद का निर्यात पहले मुफ़्त रहा है। 2,000 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 31 दिसंबर, 2024 तक या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, लगाया जाता है।’’

चालू वित्त वर्ष (2023-24) में अप्रैल-जनवरी के दौरान प्राकृतिक शहद का निर्यात 15 करोड़ 32.1 लाख डॉलर का रहा। वित्त वर्ष 2022-23 में यह 20.3 करोड़ डॉलर का हुआ था।

प्रमुख निर्यात गंतव्यों में अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।

शहद उत्पादकों और निर्यातकों की अग्रणी संस्था, ‘कनफेडरेशन आफ एपिकल्चर इंडस्ट्री’ के वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस कदम को देश के शहद उत्पादक किसानों के लिए बेहतर कदम बताते हुए कहा कि इससे किसानों को अच्छे दाम प्राप्त होंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘शहद निर्यातक आपस की प्रतिस्पर्धा के कारण शहद कम दाम पर निर्यात कर रहे थे और इस वजह से शहद उत्पादक किसानों से सस्ते दाम पर शहद खरीद करते थे। निर्यातकों को वर्ष 2022-23 में शहद निर्यात के लिए लगभग 3,000 डॉलर प्रति टन का दाम मिलता था जो आपस की प्रतिस्पर्धा की वजह से मौजूदा समय में घटकर 1,400 डॉलर प्रति टन रह गया है। लेकिन पिछले महीने वाणिज्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव, राजेश अग्रवाल (जिनके अंतर्गत डीजीएफटी आता है) के साथ हुई सीएआई के शहद उत्पादक किसानों और शहद निर्यातकों की बैठक में यह परस्पर सहमति बनी कि एमईपी लगाये जाने के बाद निर्यातकों को शहद ऊंचे दाम पर बेचना होगा और अधिक कीमत मिलने पर उन्हें किसानों को अधिक भुगतान करना होगा।’’

उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष (2023-24) में अप्रैल-जनवरी के दौरान प्राकृतिक शहद के निर्यात से प्राप्ति 2022-23 के 20.3 करोड़ डॉलर के मुकाबले घटकर 15 करोड़ 32.1 लाख डॉलर रहने की वजह निर्यातकों की आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण कम दाम पर शहद निर्यात करने की होड़ थी।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

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