(8th Pay Commission, Image Source: Pixabay)
नई दिल्ली: 8th Pay Commission: केंद्र सरकार ने 3 नवंबर को 8वें वेतन आयोग के Terms of Reference (ToR) को मंजूरी दे दी है। यह आयोग तीन सदस्यीय है और इसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति रंजना देसाई करेंगी। इस फैसले के बाद केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
हालांकि, रिपोर्ट सामने आने के बाद खबर हैं कि करीब 69 लाख केंद्रीय पेंशनर्स और पारिवारिक पेंशनर्स को 8वें वेतन आयोग के दायरे से बाहर रखा जा सकता है। इससे पेंशनर्स में नाराजगी और चिंता पैदा हो गई है।
ऑल इंडिया डिफेंस एम्प्लॉइज फेडरेशन (AIDEF) ने इस मुद्दे को उठाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है। फेडरेशन का कहना है कि पहले सेवानिवृत्त या जल्द ही सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को आयोग से बाहर रखना गलत है। पत्र में कहा गया है कि जिन लोगों ने 30 साल या उससे अधिक समय तक देश की सेवा की है, उन्हें 8वें वेतन आयोग की Terms of Reference में शामिल न करना दुर्भाग्यपूर्ण है। AIDEF ने स्पष्ट किया कि पेंशन रीविजन पेंशनर्स का अधिकार है और उन्हें इससे वंचित रखना ‘नाइंसाफी’ है।
अधिसूचना में केवल उन कर्मचारियों का उल्लेख है जिनकी सैलरी और भत्तों की समीक्षा की जाएगी। इनमें शामिल हैं:
यूनियन का कहना है कि 8वें वेतन आयोग के Terms of Reference 7वें वेतन आयोग से अलग हैं। 7वें वेतन आयोग में पेंशन में संशोधन का प्रावधान था, लेकिन 8वें वेतन आयोग में इसे हटा दिया गया है। ऐसे में पहले से रिटायर हो चुके कर्मचारियों की नाराजगी स्वाभाविक है।
8वें वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट तैयार करने में लगभग 18 महीने का समय लगेगा। इसके बाद ही यह स्पष्ट होगा कि कर्मचारियों और पेंशनर्स का वेतन और पेंशन किस स्तर तक बढ़ेगी और पेंशनर्स को वास्तव में लाभ मिलेगा या नहीं।