बिलासपुर। विधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में आज बारी हैबिलासपुर शहर से लगे बेलतरा विधानसभा क्षेत्र की। 2008 में अस्तित्व में आई इस सीट पर ब्राह्मण उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। फिलहाल बीजेपी के कद्दावर नेता और बद्रीधर दीवान यहां से विधायक हैं। मुद्दों के साथ साथ इस सीट के जाति समीकरण भी नतीजों को खास प्रभावित करते हैं और आने वाले चुनाव में यहां से उसकी संभावना ही ज्यादा होगी जो जाति समीकरण को साध पाएगा।
बेलतरा विधानसभा की राजनीति बीजेपी के कद्दावर नेता बद्रीधर दीवान के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। छत्तीसगढ़ विधानसभा के डिप्टी स्पीकर बद्रीधर दीवान पिछले तीन विधानसभा चुनाव से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। लेकिन 88 साल के हो चुके बद्रीधर दीवान के अस्वस्थ होने के कारण अब कई नेता विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय नजर आ रहे हैं। परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए बेलतरा विधानसभा को कोटा और बिल्हा ब्लॉक के कुछ क्षेत्रों को लेकर बनाया गया है। इसमें बिलासपुर शहर के सात वार्ड और तीन बड़ी ग्राम पंचायतें, मंगला, लिंगियाडीह और मोपका भी शामिल है। इसके अलावा बेलतरा में नेवसा, और गिधौरी जैसे आदिवासी गांव, जबकि राजकिशोर नगर और गंगानगर जैसे पाश एरिया भी आते हैं।
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इस सीट की सियासी इतिहास की बात करें तो 2003 तक इसका नाम सीपत था। लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद इसका नाम बेलतरा हो गया और नई सीट पर पहली बाजी बीजेपी ने जीती। इस चुनाव में बद्रीधर दीवान ने कांग्रेस के भुनेश्वर यादव को शिकस्त दी। इसके बाद 2013 में भी दोनों नेताओँ में भिडंत हुई जिसमें बद्रीधर दीवान ने कांग्रेस के भुनेश्वर यादव को हराकर सीट पर कब्जा किया। इस चुनाव में बीजेपी को जहां 50890 वोट मिले, वहीं कांग्रेस को 45162 वोट मिले। इस तरह जीत का अंतर 5728 वोटों का रहा।
2 लाख 1 हजार 406 मतदाता वाले इस विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण की बात करें तो ब्राह्मण प्रत्याशी को हाथों-हाथ लिया जाता है। यहां करीब 20 हजार ब्राह्मण वोटर्स एकजुट है जो चुनाव में नेताओं की किस्मत का फैसला करते हैं। इसके अलावा 15 हजार ठाकुर वोटर्स हैं हालांकि यहां साहू, कुर्मी और दूसरे पिछड़े वर्ग के मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं, लेकिन वो एकजुट नहीं है जिसका फायदा यहां ब्राह्मण उम्मीदवार को हर चुनाव में मिलता है। लेकिन कांग्रेस के नेताओं की इस बारे में अपनी अलग सोच है।
बेलतरा जब सीपत सीट हुआ करती थी तो मध्यप्रदेश के समय में एक बार यहां से बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रामेश्वर खरे भी जीते थे, लेकिन परिसीमन के बाद जब इसमें शहर के सात वार्ड जोड़ दिए गए तो यह सीट शहरी प्रभाव वाली हो गई। शहरी इलाकों में अन्य समाज के लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं तो कुल मिलाकर बीजेपी, कांग्रेस या फिर बीएसपी, जिसने इस जाति समीकरण को साध लिया, वहीं यहां से सियासत की जंग जीतेगा।
बेलतरा प्रदेश की उन सीटों में से एक है जहां दोनों ही दलों के दिग्गजों की भी खासी दिलचस्पी है। बेलतरा के वर्तमान विधायक बद्रीधर दीवान का इस बार विधानसभा टिकट कटना तय माना जा रहा है। उनकी बढ़ती उम्र इसकी सबसे बड़ी वजह है। वैसे सीट से टिकट की दावेदारी के लिए बीजेपी-कांग्रेस में फौज खड़ी है। हालांकि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने अनिल टाह को प्रत्याशी घोषित कर यहां बढ़त लेने की कोशिश की है। वहीं कांग्रेस में अभी उम्मीदवार चयन के दौरान सियासी ड्रामा होना तय है।
यह बिलासपुर जिले की ऐसी सीट है, जहां सभी पार्टियों में टिकट के लिए टकराव होता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है सीट का सामान्य होना। शहरी और ग्रामीण परिवेश वाली इस सीट पर शहरी दावेदार भी हैं और ग्रामीण नेता भी टिकट के लिए जोर लगा रहे हैं। बीजेपी की बात की जाए तो सिटिंग एमएलए को लेकर संशय की स्थिति है। क्योंकि 88 साल के हो चुके बद्रीधर दीवान शारीरिक रूप से अस्वस्थ हैं। अगर मौजूदा विधायक का टिकट कटता है तो उनके बेटे विजयधर दीवान को इसका स्वभाविक दावेदार माना जा रहा है। हालांकि उनकी छवि क्षेत्र में इतनी प्रभावशाली नहीं है। मगर विधायक पुत्र होने के नाते उनकी दावेदारी मजबूत है।
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि बेलतरा जैसी सीट जहां दावेदारों की इतनी भीड़ हैं, वहां इतनी आसानी से टिकट तय हो जाएगा। दावेदार के तौर पर सुशांत शुक्ला का नाम भी सामने आ रहा है। वहीं महिला आयोग की अध्यक्ष हर्षिता पांडेय को भी सीट का दावेदार माना जा रहा है। गैर ब्राह्मण उम्मीदवारों में रजनीश सिंह का नाम सबसे आगे है, जो वर्तमान में जिलाध्यक्ष हैं। इसके अलावा राजा पांडे, प्रफुल्ल शर्मा, उमेश गौरहा और द्वारिकेश पांडेय का नाम भी प्रमुखता से सामने आ रहा है।
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वो कांग्रेस ही क्या जहां दावेदारों की भीड़ न हो। बेलतरा में कांग्रेस का मिजाज कुछ ज्यादा मुखर होकर दिखता है। बीजेपी से कांग्रेस में आई करूणा शुक्ला की यहां से दावेदारी है। लोकसभा चुनाव लड़ चुकी करूणा शुक्ला ब्राह्मण उम्मीदवार के खांचे में भी फिट बैठती है। वहीं 2003 में चुनाव हारने वाले रमेश कौशिक भी यहां बड़े दावेदार हैं। इसके अलावा कांग्रेस नेता अजय सिंह यहां से टिकट मांग रहे हैं। सीपत के पूर्व विधायक चंद्रप्रकाश वाजपेयी और अरुण तिवारी भी कतार में लगे हैं। कांग्रेस से दो बार चुनाव लड़ चुके भुनेश्वर यादव एक बार फिर अपनी दावेदारी बता रहे हैं। वहीं कई स्थानीय नेता भी यहां टिकट के लिए पदयात्रा कर रहे हैं।
बीजेपी-कांग्रेस में जहां टिकट के लिए घमासान मचा है। वहीं कांग्रेस से अलग होकर पहली बार चुनावी मैदान में उतरने वाली जेसीसीजे ने अनिल टाह को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। बिलासपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने वाले अनिल टाह जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ में शामिल हो गए हैं और इस बार वो बेलतरा से अपनी किस्मत आजमाएंगे। कुल मिलाकर बेलतरा में सियासत का टॉप गेयर लग चुका है और हर कोई अपना एक्सीलेरेटर बढ़ा कर आगे निकल जाना चाहता है, और ये दौड़ पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह चल रही है।
आने वाले चुनाव में बेलतरा में एक नहीं बल्कि कई मुद्दे गूंजने वाले हैं। शहरी और ग्रामीण परिवेश वाली इस विधानसभा सीट पर समस्याएं भी अलग-अलग है। शहरी इलाकों में जहां सड़कें खस्ताहाल हैं और पानी निकासी का साधन नहीं है। वहीं ग्रामीण इलाकों में बिजली, पानी और साफ-सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। कई इलाकों में सड़कें इतनी बदहाल हैं कि बारिश में गांव टापू बन कर रह जाते हैं।
बेलतरा से चुनाव लड़ने का सपना देखने वाले टिकट के दावेदारों को ये सब सुनने के लिए अपने आप को तैयार कर लेना चाहिए। शहरी और ग्रामीण परिवेश वाली इस विधानसभा सीट के हर इलाके की अपनी समस्याएं हैं। जहां इस विधानसभा क्षेत्र में मुद्दा है बेलतरा की पहचान। दरअसल मुख्यालय होने के बावजूद शहर से 45 किमी दूर बेलतरा ब्लाक बनने के लिए तरस रहा है। तहसीलदार तो दूर यहां नायब तहसीलदार भी नहीं बैठते। परिसीमन के बाद विधानसभा में शहर के सात वार्ड जिसमें तोरवा, राजकिशोर नगर, चांटीडीह, सरकंडा से लेकर मंगला तक का घना रिहायशी एरिया इसमें जुड़ गया। अब बेलतरा में शहरी और ग्रामीण इलाका भी है लिहाजा यहां हर इलाके की अपनी अपनी समस्याएं हैं।
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इस इलाके में बुनियादी समस्याओं को साथ ही बेलतरा से लगी कोल वाशरी भी एक बड़े सियासी मुद्दे के तौर पर उभर रही है। कोल वाशरी के कारण बीच बेलतरा से 24 घंटे हैवी ट्रैफिक रहता है। इसके साथ ही प्रदूषण से पूरा गांव परेशान है।
बेलतरा में समस्याओं का अंबार हैं जो चुनाव के नजदीक आते ही सियासी मुद्दों के रूप में गूंजने लगी हैं और इन मुद्दों को लेकर नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी करने लगे हैं। कुल मिलाकर अलग अलग मिजाज के इलाकों से मिल कर बने इस विधानसभा क्षेत्र की मुश्किलें और जरूरतें भी अलग अळग हैं.और ये सभी समस्याएं अपने अपने इलाकों में चुनावी मुद्दों का रूप ले रही हैं। जो इनको साध पाएगा वो ही यहां से मैदान मार पाएगा।
वेब डेस्क, IBC24