यहां कब्र से बोली लाशें, आज ही मनाओ दीवाली नहीं तो अंजाम भुगतने रहो तैयार, थरथर कांपे ग्रामीण

Diwali celebrated in dhamtari : कोई भी तीज त्योहार लोगो की जीवन में खुशिया लेट हैं और हर कोई त्योहारो को बडे हर्षोल्लास के साथ मनाता है

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  • Publish Date - October 19, 2022 / 11:35 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:32 PM IST

धमतरी : Diwali celebrated in dhamtari : कोई भी तीज त्योहार लोगो की जीवन में खुशिया लेट हैं और हर कोई त्योहारो को बडे हर्षोल्लास के साथ मनाता है, लेकिन छत्तीसगढ के धमतरी जिले का सेमरा गांव के लोग किसी अनहोनी और अनजाने खौफ के कारण से सभी तीज त्योहारो को सदियो से पहले ही मनाते आ रहे है। वहीं देश में दीपो का पर्व दिपावली 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा, लेकिन सेमरा के ग्रामीण देव प्रकोप से बचने के लिए आज यानि 19 अक्टूबर को दिपावली का त्योहार मना रहे है। बता की ग्रामीणो ने घर परिवार की सुख समृध्दि के लिए 18 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा की और ये परंपरा गांव में पीढ़ीयो से चली आ रही है। अब इसे आस्था कहें या अंधविश्वास किसी ने इस रिवाज को तोडने की जुर्ररत नही की।

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गांव में है अजीब परंपरा

Diwali celebrated in dhamtari :  दीवाली का त्योहार भारत में हर साल हिंदी कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। क्योंकि इसी दिन भगवान रामचंद्र लंका विजय कर के अयोध्या लौटे थे। इसके बाद उनके लौटने की ख़ुशी में पूरी अयोध्या को दीपों से सजाया गया था। इसिलिये ये दीपावली का पर्व मनाया जाता है, लेकिन धमतरी जिले का सेमरा गांव की परंपरा अजीबहै।

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समय से करीब सप्ताह भर पहले मनाई जाती है दिवाली

Diwali celebrated in dhamtari :  यहां दीपावली समय से करीब सप्ताह भर पहले यानी कार्तिक अष्टमी की तिथि को ही मना ली जाती है। सिर्फ दिपावली ही नहीं इस गांव में सारे तीज त्योहार इसी तरह मनाए जाने की परंपरा है। इसके पीछे एक कहानी और एक मान्यता है कि गांव में दो भिन्न जाति के दोस्त रहते थे साथ में ही सारी जुगलबंदी होती थी। एक दिन दोनों दोस्त बिहड जंगल में शेर के शिकार हो गये दोनों का शव गांव में ही दो अलग-अलग सरहदों में दफनाया गया।

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Diwali celebrated in dhamtari : कुछ ही दिनों बाद गांव के मालगुजार को स्वप्न आया की आप मुझे देवता के रूप में मानों मेरी शर्तों पर कार्य करो। मेरी शर्त ये है कि दिपावली का त्यौहार अष्टमी या फिर नवमी को पूरा गांव मेरे नाम से मनाए। अगर इस शर्त की सीमा को कोई लांघने का प्रयास करेगा उसे अनिष्ट का शिकार होना पड़ेगा। तब से गांव में सिरदार देव का पूजा कर दिपावली को अष्टमी और नवमी को पूरा गांव एक साथ मनाते है।

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