Bhilai Maitri Garden: भारत-रूस मित्रता के प्र​तीक भिलाई ‘मैत्री गार्डन’ का होगा निजीकरण, सेल प्रबंधन ने जारी किया विज्ञापन, इधर विरोध की भी तैयारी

Bhilai Maitri Garden: दरअसल, 140 एकड़ में फैले मैत्री बाग की स्थापना 1972 में की गई थी । मैत्री बाग के अंदर मौजूद चिड़ियाघर ऐसा जू है, जिसे सफेद बाघों की नर्सरी भी कहा जाता है। अब तक इस जू से इंदौर, गुजरात, बंगाल सहित देश के अन्य राज्यों में सफेद शेर भेजे गए हैं।

  • Reported By: Komal Dhanesar

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  • Publish Date - November 22, 2025 / 10:28 PM IST,
    Updated On - November 22, 2025 / 10:31 PM IST
HIGHLIGHTS
  • निजी हाथों में देने की तैयारी कर रहा सेल प्रबंधन
  • सामने आने लगी यूनियन लीडर्स और जनप्रतिनिधियों की भी प्रतिक्रियाएं
  • पब्लिक सेक्टर के निजीकरण में केंद्र सरकार सबसे आगे : देवेंद्र यादव

भिलाई: Bhilai Maitri Garden, बीएसपी के अंदर पहले आउटसोर्सिंग से काम, फिर हॉस्पिटल का निजीकरण की बात और अब भिलाई में भारत और रूस की मैत्री के प्रतीक और प्रदेश के सबसे बड़े गार्डन मैत्रीबाग को अब सेल प्रबंधन निजी हाथों में देने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए सेल प्रबंधन ने रूचि की अभिव्यक्ति के तहत अखबार में इश्तिहार भी जारी किया है। ताकि कोई संगठन का संस्था इस गार्डन और जू को संचालित करना चाहती है, वह नियमों और शर्तों के तहत इसका संचालन कर सकता है।

इधऱ् मैत्रीबाग के निजीकरण की खबर सुनने के बाद यूनियन लीडर्स और जनप्रतिनिधियों की भी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। वहीं पब्लिक का कहना है कि निजी हाथों में मैत्रीबाग का संचालन जाने के बाद प्राइवेट सेक्टर अपने हिसाब से सब काम करेंगे और जनता पर भी आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

दरअसल, 140 एकड़ में फैले मैत्री बाग की स्थापना 1972 में की गई थी । मैत्री बाग के अंदर मौजूद चिड़ियाघर ऐसा जू है, जिसे सफेद बाघों की नर्सरी भी कहा जाता है। अब तक इस जू से इंदौर, गुजरात, बंगाल सहित देश के अन्य राज्यों में सफेद शेर भेजे गए हैं। इसके साथ ही देश-विदेश के पशु पक्षी यहां आकर्षण का केंद्र भी है।

पब्लिक सेक्टर के निजीकरण में केंद्र सरकार सबसे आगे

Bhilai Maitri Garden इधर गार्डन के निजीकरण को लेकर भिलाई विधायक देवेंद्र यादव ने कहा कि पब्लिक सेक्टर के निजीकरण में केंद्र सरकार सबसे आगे हैं। सेल प्रबंधन ने धीरे-धीरे कर पूरे प्लांट का निजीकरण कर दिया और अब शिक्षा स्वास्थ्य के बाद इकलौते गार्डन को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि वह इस निजीकरण का जरूर विरोध करेंगे।

वहीं बीएसपी यूनियन सीटू के उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी ने कहा कि निजी हाथों में गार्डन के जाने के बाद लोगों को आर्थिक दबाव भी झेलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसे बनाने की सोच बीएसपी के उन अधिकारियों की थी जिन्होंने प्लांट का निर्माण किया था । एक अच्छी सोच के साथ इस गार्डन को बनाया गया था, और उसकी पहचान पूरे मध्य भारत में है, अगर इसे प्राइवेट हाथों में दिया गया तो यह अपनी पहचान खो देगा।

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