Reported By: Naresh Mishra
,CG Naxal News | Photo Credit: IBC24
जगदलपुर: बस्तर के वनांचल क्षेत्र में लगातार नक्सलियों को हो रहे नुकसान के बाद अब माओवादियों ने विराम की मांग की है। इस सबंध में नक्सलियों ने एक कथित पत्र भी जारी किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार यदि ऑपरेशन बंद करने का घोषणा करती है तो नक्सली भी युद्ध विराम को तैयार है।
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— IBC24 News (@IBC24News) April 2, 2025
जानकारी के अनुसार, इस पत्र को नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी का प्रवक्ता अभय ने जारी किया है। इस पत्र को तेलगु भाषा में जारी किया गया है। आपको बता दें कि नक्सली पूरी तरह से शिकस्त महसूस कर रहे हैं और इसी वजह से केंद्रीय कमेटी ने ये पत्र जारी किया है। क्योंकि जिस तरह से सिलसिलेवार मुठभेड़ों में एक के बाद एक बड़ी तदात में नक्सली संगठन को झटका लगा रहा है और जवानों के साथ मुठभेड़ में कही न कहीं तरह से नाकाम नजर आ रहे हैं। इस वजह से ये पत्र जारी किया गया है।
इस पत्र में स्पष्ट तौर पर देखा जाए तो नक्सलियों ने शांति वार्ता की बात कही है। हालांकि उनकी तरफ से काई भी तरह से शर्त नहीं है। बस शांति स्थापित हो इसलिए ये पत्र जारी किया गया है। आपको बता दें कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद कई बार शांति वार्ता को लेकर बात चीत की गई लेकिन कोई महत्वपूर्ण पहल दिखाई नहीं दी।
सीपीआई (माओवादी) केंद्रीय समिति ने मध्य भारत में युद्ध को तत्काल रोकने का आह्वान किया है।
वे शांति वार्ता को सुगम बनाने के लिए भारत सरकार और सीपीआई (माओवादी) दोनों से बिना शर्त युद्ध विराम की मांग करते हैं।
सरकार का माओवादी विरोधी अभियान (‘कागर’ ऑपरेशन)
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर माओवादी-प्रभावित क्षेत्रों को लक्षित करते हुए ‘कागर’ नामक एक गहन आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू किया।
इस अभियान के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर हिंसा, हत्याएं और सामूहिक गिरफ्तारियां हुई हैं।
हताहतों की संख्या और मानवाधिकार उल्लंघन • 400 से अधिक माओवादी नेता, कार्यकर्ता और आदिवासी नागरिक कथित तौर पर मारे गए हैं। • महिला माओवादियों को कथित तौर पर सामूहिक यौन हिंसा और फांसी का सामना करना पड़ा है। • कई नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है और उन्हें अवैध हिरासत और यातना दी गई है।
शांति वार्ता के लिए माओवादियों की शर्तें • प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों से सुरक्षा बलों की तत्काल वापसी। • नई सैन्य तैनाती का अंत। • आतंकवाद विरोधी अभियानों का निलंबन।
सरकार के खिलाफ आरोप • सरकार पर क्रांतिकारी आंदोलनों को दबाने के लिए आदिवासी समुदायों के खिलाफ “नरसंहार युद्ध” छेड़ने का आरोप है। • नागरिक क्षेत्रों में सैन्य बलों के उपयोग को असंवैधानिक बताया जाता है।
सीपीआई (माओवादी) ने जनता से समर्थन मांगा
माओवादियों ने बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार संगठनों, पत्रकारों, छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं से शांति वार्ता के लिए सरकार पर दबाव बनाने का आग्रह किया।
वार्ता के लिए गति बनाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने का अनुरोध किया गया।
शांति वार्ता के लिए माओवादियों की तत्परता
अगर सरकार उनकी पूर्व शर्तों पर सहमत होती है तो वे बातचीत में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करते हैं।
सीपीआई (माओवादी) ने कहा कि जैसे ही सरकार सैन्य अभियान बंद करेगी, वे युद्ध विराम की घोषणा करेंगे।
आपको बता दें कि देश के गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ दौरे पर आ रहे हैं। जानकारी के अनुसार, मंत्री शाह 4 अप्रैल को रायपुर पहुंचेंगे। जिसके बाद पांच अप्रैल को सुबह दंतेवाड़ा पहुंचेंगे, वहां वे बस्तर पंडुम कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद इसके बाद जनपद अध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष, और नगरीय निकायों के अध्यक्ष के साथ भोजन करेंगे। साथ ही, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और नारायणपुर के 10-10 सरपंचों के साथ भी भोजन का आयोजन होगा।
जिसके बाद पांच अप्रैल को ही नक्सल ऑपरेशन में कमांडर के साथ बैठक करेंगे। बताया जा रहा है कि नक्सल मोर्चे पर सफलता को लेकर अफसरों से चर्चा करेंगे और 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म करने को लेकर भी रणनीति को लेकर भी चर्चा करेंगे। फिर दोपहर बाद बस्तर से रायपुर पहुंचेंगे और शाम रात तक वापस दिल्ली रवाना होंगे। छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने इस बात की जानकारी दी है। और कहा कि अमित शाह का यह दौरा छत्तीसगढ़ में सुरक्षा और विकास को लेकर कई अहम चर्चाओं का आधार बनेगा।