CG Ki Baat / Image Credit: IBC24
CG Ki Baat: रायपुर। रविवार को छत्तीसगढ़ दौर पर आए पीएम ने नए थर्मल पॉवर प्लांट के निर्माण की शुरुआत की। इसको लेकर पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने एक्स पर पोस्ट किया और ये दावा किया कि जिस प्रोजेक्ट का शिलान्यास वो ऑलरेडी कर चुके हैं। उसी को उन्होंने दोबारा हरी झंडी दिखाई है। इस आरोप पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि, बघेल ने सियासी फायदे के लिए बगैर किसी स्वीकृति की प्रोजेक्ट का शिलान्यास कर दिया था, जबकि पीएम ने बाकायदा सारी औपचारिकताओं के बाद कार्यारंभ किया है। अब इस मुद्दे पर जमकर सियासत हो रही है।
रविवार को छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिलासपुर के मोहभट्ठा में कोरबा थर्मल पावर प्लांट की आधार शिला रखी। जिसपर कांग्रेस ने बीजेपी को घेरते हुए आरोप लगाया कि, जिस थर्मल पावर प्लांट का शिलान्यास PM मोदी से करवाया गया उसका शिलान्यास तो पहले ही मुख्यमंत्री रहते हुए भूपेश बघेल अगस्त 2023 में कर चुके हैं। कांग्रेस का आरोप है कि, एक तरफ साय सरकार का दावा है कि, PM के दौरे से प्रदेश को 33 हजार 700 करोड़ की सौगात मिली। दूसरी तरफ कांग्रेस शासन काल के प्रोजेक्ट का श्रेय लेने की कोशिश की गई। इतना नही अभनपुर से रायपुर मेमू ट्रेन ट्रेक पर भी PM स्पीच में झूठ बोला गय। 100 साल पुरानी रेल लाइन को उखाड़ कर मात्र 15 किमी रेल लाइन, दावा किया जहां कभी ट्रेन नहीं चली वहां ट्रेन चलाने जा रहे हैं।
पूर्व CM भूपेश बघेल ने भी X-पोस्ट कर साय सरकार पर तंज कसा कि कथित “सुशासन” फ़ुस्स निकला। कांग्रेस के आरोप को बीजेपी ने सिरे खारिज करते हुए इसे सरासर झूठ बताया। दरअसल, 5 साल कार्यकाल में भूपेश सरकार ने कुछ किया नहीं। चुनावी साल 2023 में कोरबा पावर प्रोजेक्ट का, पूर्व CM भूपेश ने शिलान्यास दिखाया उसके लिए 2023 में ना तो टेंडर हुआ था, ना वर्क आर्डर पास हुआ, ना पर्यावरण क्लीरेंस मिली थी और तो और जगह भी तय नहीं थी। कांग्रेस केवल शिलान्यास की तस्वीर दिखाकर भ्रम फैला रही है।
पूर्व CM भूपेश की X-पोस्ट के जवाब में बीजेपी मीडिया विभाग अध्यक्ष अमित चिमनानी ने पोस्ट कर लिखा कि, जिस प्रोजेक्ट की बात हो रही है उसके लिए पार्यावरण क्लीरेंस मिला। इसी साल 26 मार्च को, BHEL को इसके निर्माण का कार्यदेश हुआ- 27 मार्च को, जिसके बाद 30 मार्च को प्रधानमंत्री जी ने इसका कार्य प्रारंभ किया। वैसे ये पहली बार नहीं है जब श्रेय लेने को लेकर सियासी दल आमने-सामने हैं लेकिन यहां सवाल ये है कि खुद को बड़ा विकासपुरूष बताने के लिए झूठ, भ्रम वाली पिक्चर पॉलिटिक्स कौन कर रहा है?