CM Vishnu Deo Sai on Naxalites Press Note: रायपुर: माओवादी संगठन की कमर लगभग टूट चुकी है। अब वह अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई ही लड़ रहे है। उनके ज्यादातर बड़े और शीर्ष नेता या तो मुठभेड़ में मार गिराए गये है या फिर उन्होंने सरकार के पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर अपने हथियार डाल दिए है। हालांकि जो बचे-खुचे नक्सली है, वह भी जंगलो से बाहर आने की कोशिश में जुटे है। इसका संकेत नक्सलियों के उस प्रेसनोट से मिलता है, जो उन्होंने तीन राज्यों के मुख़्यमंत्रियो को लिखा है। नक्सलियों ने पत्र के माध्यम से सरकार से मोहलत माँगी है।
इस प्रेसनोट और नक्सलियों के इस ताजा डिमांड पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का बड़ा बयान सामने आया है। दिल्ली रवाना होने से पहले मीडिया से हुई बातचीत में सीएम साय ने कहा है कि, माओवाद को लेकर उनके सरकार की मंशा स्पष्ट है। जब हम सरकार में आए तब से आह्वान कर रहे हैं कि, नक्सली हिंसा छोड़ विकास की मुख्यधारा से जुड़े। उन्होंने माओवादियों को आश्वस्त किया कि, सरकार नक्सलियों के साथ न्याय करेगी।
नक्सलियों के खत पर सीएम विष्णु देव साय का बयान
https://t.co/PIi3VlNPo3— IBC24 News (@IBC24News) November 24, 2025
CM Vishnu Deo Sai on Naxalites Press Note: प्रेसनोट जारी करने वाले प्रवक्ता का नाम अनंत है। उसने लिखा है, “मैं अनंत, महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ स्पेशल जोनल कमिटी (MMC जोन) के प्रवक्ता के तौर पर आप तीनों राज्य की सरकारों को एक निवेदन पत्र जारी कर रहा हूं। हाल ही में हमारे पार्टी के केंद्रीय कमिटी के सदस्य व पोलित ब्यूरो मेंबर कॉम्रेड सोनू दादा ने देश-दुनिया की बदलती परिस्थितीयों का मूल्यांकन करते हुए हत्यार त्यागकर सशस्त्र संघर्ष को अस्थाई रूप से विराम देने का जो निर्णय लिया है, उसका हम समर्थन करते हैं। CCM सतीश दादा के बाद हाल ही में हमारे एक और CCM कॉम्रेड चंद्रन्ना ने भी इसी निर्णय का समर्थन किया है। हम, MMC स्पेशल जोनल कमिटी भी हत्यार छोड़कर सरकार के पूनर्वास और पूनामार्गेम योजना का स्विकार करना चाहती है। किंतु इसके लिए हम तीनों राज्य की सरकारों से अनुरोध करते हैं कि वह हमें वक्त दें। चूंकि हमारी पार्टी जनवादी केंद्रीयता के उसूलों पर चलती है, इसलिए सामुहीक रूप से इस निर्णय को लेने में हमें कुछ वक्त लगेगा। हमारे साथियों से संपर्क करने और उक्त संदेश हमारी पध्दति के अनुरूप उन तक पहुंचाने में हमें वक्त चाहिए। इसलिए, हम तीनों राज्यों की सरकारों से यह निवेदन करते हैं कि वह हमें 15 फरवरी 2026 तक का वक्त दें। यकीन मानिए, इतना वक्त मांगने के पिछे हमारा कोई दूसरा छुपा उद्देश्य नही है, चूंकि हमारे पास एक-दूसरे को फटाफट कम्युनिकेट करने के कोई दूसरे सरल माध्यम नही होते हैं, सो इतना वक्त लगेगा।”
नक्सली प्रवक्ता अनंत ने आगे लिखा है, “हम जानते हैं, यह वक्त थोड़ा ज्यादा है, किंतु सरकार ने माओवाद समाप्ति की जो डेडलाईन (मार्च 31, 2026) तय की है, उसके दायरे के भीतर ही है। तब तक हम, तीनों राज्य की सरकारों से यह अनुरोध करते हैं कि वे थोड़ा संयम बरतें और अपने सुरक्षा बलों के अभियान को रोकें। यहां तक कि वह आगामी PLGA सप्ताह के दरम्यान भी कोई अभियान ना चलाएं। मुखबिरों की गतिविधियों को भी रोकें, इनपुट या सूचना के आधार पर बलों को एंगेज ना करें। हम भी आपको आश्वस्त करते हैं कि, हम इस बार PLGA सप्ताह नही मनाएंगे और हमारी तमाम गतिविधियों को विराम देंगे। दोनों तरफ से ऐसा प्रयास होने पर ही एक बेहतर माहौल बनेगा, और यह संभव हो पाएगा कि हम एक-दूसरे को कम्युनिकेट करके साझे रूप से इस एक बेहतर निर्णय पर पहुंच पाएंगे। यकीनन, परिणाम सरकार की दृष्टी से सुखद और सकारात्मक ही निकलकर आएगा।” नीचे पढ़ें पूरा पत्र..