नई दिल्ली: 8th Pay Commission, संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन 8वें वेतन आयोग को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया। पिछले महीने से लगातार चर्चा में रहे इस आयोग पर सरकार ने लोकसभा में आधिकारिक जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि DA और DR को बेसिक पे में मिलाने का कोई प्रस्ताव फिलहाल सरकार के पास नहीं है। पहले की तरह महंगाई भत्ते का संशोधन हर छह महीने में AICPI-IW इंडेक्स के आधार पर ही जारी रहेगा।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि 8th Central Pay Commission का गठन 3 नवंबर 2025 को गजट नोटिफिकेशन के जरिए किया गया है। आयोग में तीन सदस्य शामिल हैं। जस्टिस रंजन प्रकाश देसाई, चेयरपर्सन, प्रो. पुलक घोष, पार्ट-टाइम मेंबर और पंकज जैन, मेंबर-सेक्रेटरी।
इसी मुद्दे पर 1 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन लोकसभा में एक सवाल पूछा गया। सांसद आनंद भदौरिया ने पूछा कि क्या सरकार ने औपचारिक तौर पर 8वें वेतन आयोग को नोटिफाई कर दिया है और क्या बढ़ती महंगाई के बीच राहत के तौर पर DA को बेसिक पे में मिलाने का कोई प्रस्ताव है। सरकार ने अपने जवाब में आयोग के गठन की पुष्टि तो की, लेकिन DA–बेसिक पे मर्ज करने से साफ इंकार कर दिया।
8th Pay Commission:, यूनियनों का कहना है कि इस बार जारी Terms of Reference (ToR) में पेंशनरों का उल्लेख नहीं है, जबकि 7वें वेतन आयोग में उन्हें स्पष्ट रूप से शामिल किया गया था। नई वेतन संरचना कब से लागू होगी, इस पर भी कोई स्पष्टता नहीं दी गई है। स्टाफ साइड JCM ने आरोप लगाया कि उनकी प्रमुख मांगें—जैसे न्यूनतम वेतन तय करने का फॉर्मूला, वेतन संपीड़न की समस्या का समाधान और वेज रिवीजन के सिद्धांत—ToR में शामिल नहीं किए गए। यूनियनों का मानना है कि इस बार इस्तेमाल की गई भाषा 7वें वेतन आयोग की तुलना में कहीं अधिक सीमित है।
बता दें कि 8वें वेतन आयोग को 18 महीने का कार्यकाल दिया गया है, जिसमें वह डेटा जुटाएगा, विभागों से चर्चा करेगा और यूनियनों से सुझाव लेगा। लेकिन ToR को लेकर बढ़ती असंतुष्टि संकेत देती है कि आने वाले महीनों में कर्मचारी संगठन अपनी आवाज और बुलंद करेंगे।
महंगाई के दबाव और DA को बेसिक पे में मर्ज करने से सरकार के इनकार ने कर्मचारियों की चिंता और बढ़ा दी है। चूंकि 2026 में नई वेतन संरचना लागू होने की संभावना है, इसलिए आने वाले समय में 8वें वेतन आयोग का मुद्दा और गरम रहने वाला है।