8th Pay Commission/Image Source: IBC24
नई दिल्ली: 8th Pay Commission: आठवें वेतन आयोग को लेकर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के बीच नई हलचल पैदा हो गई है। हाल ही में 3 नवंबर को जारी टर्म ऑफ रेफ्रेंस में सबसे बड़ी कमी यह देखी गई है कि इसमें सिफारिशें कब लागू होंगी इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं है। जबकि परंपरा के मुताबिक नई सिफारिशें हर 10 साल में लागू होती हैं और 7वें वेतन आयोग की अवधि 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रही है।
8th Pay Commission: सरकारी कर्मचारियों का मानना है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होनी चाहिए। इसी को लेकर कई कर्मचारी और पेंशनर संगठन जैसे ऑल इंडिया डिफेंस एम्पलॉई फेडरेशन, कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलॉई एंड वर्कर्स और भारत पेंशनर्स समाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं। संगठनों का कहना है कि ToR में कई महत्वपूर्ण बातें अस्पष्ट हैं और इन्हें जल्द सुधारा जाना चाहिए। संगठनों का कहना है कि यदि सरकार इन 7 बिंदुओं पर सहमति जताती है तो करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनर्स को राहत मिलेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 69 लाख पेंशनर्स को आठवें वेतन आयोग के दायरे से बाहर करने की खबरों पर अभी कोई सरकारी पुष्टि नहीं हुई है।
8th Pay Commission: पहला मांग सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू हों: ToR में साफ लिखा जाए कि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें अगले साल जनवरी से प्रभावी होंगी। दुसरा मांग अनफंडेड कॉस्ट’ शब्द हटाया जाए: सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन को मौलिक अधिकार माना है, इसलिए इस शब्द को हटाना जरूरी है। तीसरा मांग पुरानी पेंशन योजना बहाल हो: 2004 के बाद भर्ती 26 लाख से अधिक कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए। चौथा मांग सभी पेंशन योजनाओं की समीक्षा: आठवां वेतन आयोग OPS, NPS और UPS तीनों योजनाओं की पूरी समीक्षा करे। पांचवा मांग एक समान पेंशन नियम: सभी पेंशनर्स के लिए एक समान नियम लागू किए जाएं, ताकि पुराने और नए पेंशनर्स में भेदभाव खत्म हो। छटवां मांग अधिक कर्मचारियों को शामिल किया जाए: ग्रामीण डाक सेवक (GDS), स्वायत्त निकाय और सांविधिक संस्थाओं के कर्मचारियों को भी आठवें वेतन आयोग में शामिल किया जाए। अंतिम और सातवां मांग अंतरिम राहत और CGHS सुधार: बढ़ती महंगाई को देखते हुए 20% अंतरिम राहत तुरंत दी जाए। साथ ही CGHS में बड़े सुधार किए जाएंनए केंद्र खोले जाएं, पूरे देश में कैशलेस इलाज हो और संसद की लंबित समिति की सिफारिशें तुरंत लागू की जाएं।