मंत्रिमंडल ने उच्च शिक्षा के लिए एकल नियामक स्थापित करने वाले विधेयक को मंजूरी दी

मंत्रिमंडल ने उच्च शिक्षा के लिए एकल नियामक स्थापित करने वाले विधेयक को मंजूरी दी

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  • Publish Date - December 12, 2025 / 07:46 PM IST,
    Updated On - December 12, 2025 / 07:46 PM IST

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूजीसी और एआईसीटीई जैसे निकायों की जगह उच्च शिक्षा नियामक निकाय स्थापित करने वाले विधेयक को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

प्रस्तावित विधेयक जिसे पहले भारत का उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) विधेयक नाम दिया गया था, अब विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक के नाम से जाना जाएगा।

नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में प्रस्तावित एकल उच्च शिक्षा नियामक का उद्देश्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) को प्रतिस्थापित करना है।

एक अधिकारी ने बताया, “विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण की स्थापना से संबंधित विधेयक को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है।”

यूजीसी गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा क्षेत्र की, जबकि एआईसीटीई तकनीकी शिक्षा की देखरेख करती है और एनसीटीई शिक्षकों की शिक्षा के लिए नियामक निकाय है।

प्रस्तावित आयोग को उच्च शिक्षा के एकल नियामक के रूप में स्थापित किया जाएगा, लेकिन मेडिकल और लॉ कॉलेज इसके दायरे में नहीं आएंगे। इसके तीन प्रमुख कार्य प्रस्तावित हैं-विनियमन, मान्यता और व्यावसायिक मानक निर्धारण।

वित्त पोषण, जिसे चौथा क्षेत्र माना जाता है, अभी तक नियामक के अधीन प्रस्तावित नहीं है। वित्त पोषण की स्वायत्तता प्रशासनिक मंत्रालय के पास प्रस्तावित है।

उच्च शिक्षा आयोग की अवधारणा पर पहले भी एक मसौदा विधेयक के रूप में चर्चा हो चुकी है। उच्च शिक्षा आयोग (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम निरस्त) विधेयक, 2018 का मसौदा, जिसमें यूजीसी अधिनियम को निरस्त करने और उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना का प्रावधान था, हितधारकों से प्रतिक्रिया और परामर्श के लिए 2018 में सार्वजनिक किया गया था।

इसके बाद, जुलाई 2021 में केंद्रीय शिक्षा मंत्री का पदभार संभालने वाले धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में उच्च शिक्षा आयोग को साकार करने के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू किए गए।

एकल उच्च शिक्षा नियामक की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए, एनईपी-2020 दस्तावेज़ में कहा गया है, ‘उच्च शिक्षा क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और इसे फलने-फूलने में सक्षम बनाने के लिए नियामक प्रणाली में पूर्ण सुधार की आवश्यकता है।’

इसमें यह भी कहा गया है कि नए तंत्र में विनियमन, मान्यता, वित्तपोषण और शैक्षणिक मानक तय करने जैसे अलग-अलग कार्य स्वतंत्र, सक्षम और अलग संस्थाओं द्वारा सुनिश्चित किए जाने चाहिए।

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप